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ग्रीन टी को अब चाय कहना गैरकानूनी! जानें क्यों बदल गई चाय की परिभाषा

अब हर्बल टी, डिटॉक्स टी, फ्लावर टी जैसे पेयों के नाम बदलने होंगे. ये पेय बाजार में रहेंगे, लेकिन चाय नाम से नहीं बेचे जा सकेंगे. FSSAI का यह कदम चाय की परिभाषा को लेकर चल रही बाजार‑स्तरीय भ्रम को दूर करता है.

ग्रीन टी को अब चाय कहना गैरकानूनी! जानें क्यों बदल गई चाय की परिभाषा
  • FSSAI ने केवल Camellia sinensis पौधे से बनी उत्पाद को ही चाय मानने का निर्देश दिया है.
  • बाजार में उपलब्ध हर्बल टी, रूइबोस टी और फ्लावर टी को चाय कहना नियमों के अनुसार गलत और भ्रामक होगा.
  • चाय के पैकेट पर वास्तविक नाम लिखना अनिवार्य है, गलत नामकरण को मिसब्रांडिंग माना जाएगा.
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खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने स्पष्ट कर दिया है कि 'चाय' सिर्फ उसी उत्पाद को कहा जा सकता है जो Camellia sinensis पौधे से बनी हो. इसके अलावा किसी भी अन्य पौधों, जड़ी‑बूटियों या फूलों से बने पेय को 'चाय' कहना गलत, भ्रामक और कानूनन अनुचित माना जाएगा.

FSSAI ने बताया कि बाजार में हर्बल टी, रूइबोस टी, फ्लावर टी जैसे कई उत्पाद 'Tea/चाय' नाम से बेचे जा रहे हैं, जबकि ये वास्तव में चाय नहीं हैं. नियमों के अनुसार कांगड़ा टी, ग्रीन टी और इंस्टेंट टी भी सिर्फ Camellia sinensis से ही तैयार होनी चाहिए.

लेबलिंग के लिए सख्त निर्देश

प्राधिकरण ने साफ कहा है कि किसी भी खाद्य पैकेट के सामने उसका सही और वास्तविक नाम लिखना अनिवार्य है. जो उत्पाद Camellia sinensis से नहीं बने, उन पर 'Tea/चाय' शब्द का उपयोग करना मिसब्रांडिंग माना जाएगा. ऐसे पेय 'प्रोप्राइटरी फूड' या 'नॉन-स्पेसिफाइड फूड' (2017) के अंतर्गत आएंगे.

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निर्माताओं, विक्रेताओं और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए आदेश 

FSSAI ने निर्माताओं, विक्रेताओं, आयातकों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स सभी को निर्देश दिया है कि Camellia sinensis से न बने किसी भी उत्पाद पर चाय शब्द का उपयोग तुरंत बंद करें. उल्लंघन करने वालों पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के तहत कार्रवाई की जाएगी. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के फूड सेफ्टी अधिकारियों को सख़्त निगरानी के निर्देश दिए गए हैं.

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उपभोक्ताओं के लिए क्या मायने?

अब हर्बल टी, डिटॉक्स टी, फ्लावर टी जैसे पेयों के नाम बदलने होंगे. ये पेय बाज़ार में रहेंगे, लेकिन चाय नाम से नहीं बेचे जा सकेंगे. FSSAI का यह कदम चाय की परिभाषा को लेकर चल रही बाजार‑स्तरीय भ्रम को दूर करता है और उपभोक्ताओं को यह समझने में मदद देगा कि उनके कप में जो पेय है, वह असली चाय है या सिर्फ एक हर्बल इन्फ्यूजन.

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