Pune Road Accident: पुणे की सड़क पर अश्विनी और अनीश का लहूलुहान शव पड़ा है. दोनों बर्थडे पार्टी से लौट रहे थे. 2 करोड़ की पोर्शे कार पर सवार बिल्डर बाप के शहजादे ने उन्हें रौंद (Pune Road Accident) डाला. शराब के नशे में धुत शहजादे को 15 घंटे के अंदर निबंध लिखवाकर छोड़ दिया गया. हालांकि दवाब बढ़ने के बाद पुलिस अब हरकत में है. महाराष्ट्र सरकार भी इस मामले में शख्त ऐक्शन का वादा कर रही है. मंगलवार शाम महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणीस को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह विश्वास दिलाना पड़ा. अश्विनी और अनीश की कहानी एक मिडिल क्लास के बच्चों जैसे ही थी. पढ़-लिखकर कुछ बनने की. मां-बाप का सहारा बनने की. दोनों जबलपुर से थे.अश्विनी ने अपने सपनों की उड़ान मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से भरी थी. पढ़ने में हमेशा अच्छी रही अश्विनी आईटी इंजीनियर बनी और पुणे जॉब करने पुणे निकल पड़ी.
पुणे पोर्शे कार हादसे में जान गंवाने वाली मध्य प्रदेश के जबलपुर की अश्विनी कोष्टा मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गई. परिवार के हिस्से आया बस गम और कभी न भूल पाने वाली खट्टी-मीठी यादें. अश्विनी के दाह संस्कार के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. इंजिनियर बिटिया ने आंखों में कई सपने संजोए जब जबलपुर से पुणे का सफर तय किया तो मां-पापा की आंखों में अलग ही चमक थी. फख्र से सीना चौड़ा हो गया था, लेकिन अब उन्हीं आंखों में आंसुओं के सिवाय अब कुछ भी बाकी नहीं बचा है. वहीं जिस सीने में कभी फख्र था, वह अब बेटी के वियोग में छलनी हो रहा है.
जवान बेटी की अर्थी उठाते ही पिता का सीना छलनी
अश्विनी के पिता सुरेश कोस्टा के गम और गुस्से का अंदाजा लगा पाना मुमकिन नहीं है. 24 साल की लाड़ली एक रईसजादे के रईसी शौक की भेंट चढ़ गई. अश्विनी अब इस दुनिया में नहीं है. पुणे में पोर्शे कार चला रहे नशे में धुत बिल्डर के बेटे ने बाइक पर अपने दोस्त संग जा रही अश्विनी को इस कदर कुचला कि उसकी मौत हो गई. अश्विनी के पिता मध्य प्रदेश बिजली मंडल में काम करते हैं. अपने दो बच्चों, बड़े बेटे और अश्विनि को मां-बाप ने जतन से पढ़ाया. दोनों इंजिनियर बने. बड़ा भाई बेंगलुरु में जॉब करने चला गया. अश्विनी भाई से छोटी थी. उसने पुणे का रुख किया. माता-पिता जबलपुर में अकेले ही रहते थे. पिता को अभी भी अश्विनी का वह आखिरी फोन कॉल याद है. NDTV से बातचीत में उन्होंने बताया- रात के 10 बजे अश्विनी से बात हुई तो उसने कहा कि मैं खाना खाने जा रही हूं. उसके बाद बेटी से कोई बात ही नहीं हुई.
बेबस पिता और गमगीन चाचा का दर्द
बेटी की अंत्येष्टि के बाद अश्विनी के बेबस पिता सदमे में है. दिल्ली में सिस्टम को लेकर गुस्सा भी है. उनका कहना है कि ट्रैफिक पुलिस सिर्फ हेलमेट चेकिंग में लगी रहती है. ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की चिंता पुलिस को है ही नहीं. उनका कहना है कि नाबालिग ओवर स्पीड से गाड़ी चला रहे हैं, ड्रिंक कर रहे हैं और पुलिस हेलमेट चेकिंग करके सिर्फ खानापूर्ति कर रही है. वहीं अश्विनी के चाचा अयोध्या कोस्टा का कहना है कि उनकी भतीजी एक सीधी सादी लड़की थी. वह पढ़ाई में भी बहुत अच्छी थी. पिछले दिनों जन्मदिन पर वह जबलपुर आई थी. कुछ दिन रहने के बाद वह पुणे वापस चली गई थी. लेकिन अब यकीन नहीं होता कि उनकी बेटी इस दुनिया में नहीं है.
पोर्शे कार से रौंदकर ली अश्विनी की जान
रविवार रात को करीब ढाई बजे हुए सड़क हादसे में अश्विनी और उसके दोस्त अनीश की मौत हो गई थी. एक रईसजादे ने उनकी मोटरसाइकिल को 160 की स्पीड से दौड़ा रहे लग्जरी पोर्शे कार से रौंद डाला था. यही नहीं जुवेनाइल कोर्ट ने उसे 15 घंटे के अंदर जमानत दे दी. दबाव पढ़ने पर अब पुलिस उसके लिए सख्त सजा की मांग कर रही है. आरोपी के पिता को मंगलवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
अब कौन भरेगा बेटी की खाली जगह?
अश्विनी के पिता का कहना है कि सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए किसी नए या फिर अलग कानून की मांग की जरूरत नहीं है.अगर पुराने कानून को ही कड़ाई से लागू कर दिया जाए तो इस तरह ही घटनएं शायद न हों. इस मामले में भले ही आरोपी को सजा मिल भी जाए, लेकिन अश्वनी के परिवार में उसकी खाली जगह को भर पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं होगा.
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