- केरल में स्थानीय निकाय चुनाव का मतदान 73.69 प्रतिशत रहा, जो 1995 के बाद सबसे अधिक है और दो चरणों में हुआ
- भाजपा ने भारत धर्म जन सेना और अन्य सहयोगियों के साथ आंतरिक विवाद सुलझाकर लगभग 90 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ा
- अमित शाह ने भाजपा के लिए केरल में 25 प्रतिशत वोट हासिल करने और राजनीतिक बदलाव लाने की संभावना जताई है
Kerala Nikay Chunav Results LIVE 2025: केरल के निकाय चुनाव के नतीजे ने बीजेपी में जोश भर दिया है. भगवा दल के नेतृत्व में एनडीए ने तिरुवनंतपुरम कॉरपोरेशन में जीत दर्ज की है. इस सीट पर पिछले 45 साल से सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली एलडीएफ का कब्जा था. इस जीत के साथ ही राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी को बड़ा बूस्ट मिला है. तिरुवनंतपुरम के 101 वॉर्ड में से बीजेपी ने 50 पर जीत दर्ज की है. एलडीएफ को 29 सीटों पर विजय मिली है जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ महज 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. दो निर्दलीय कैंडिडेट को भी जीत मिली है.
पलक्कड नगरपालिका में कब्जा बरकरार
इसके अलावा एनडीए ने पलक्कड नगरपालिका में अपना कब्जा बरकरार रखा है. यहां एनडीए ने करीबी मुकाबले में यूडीएफ को मात दी. इसके अलावा पार्टी ने तिरुपुनुत्थापुरा नगरपालिका सीट एडीए ने कांग्रेस ने नेतृत्व वाले यूडीएफ से छीन लिया है.हालांकि, भाजपा निगम में निर्णायक बहुमत से एक सीट पीछे है.
त्रिशूर में, जहां से सुरेश गोपी ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, भाजपा ने कोडुंगल्लूर नगर पालिका में 46 वार्डों में से 18, त्रिशूर निगम में 8, गुरुवयूर और वडक्कनचेरी नगर पालिकाओं में दो-दो, कुन्नमकुलम नगर पालिका में 7, इरिंजलाकुडा नगर पालिका में 6 और चलाकुडी नगर पालिका में एक वार्ड जीता.

इसने ब्लॉक पंचायतों में 4 वार्ड और ग्राम पंचायतों में 167 वार्ड जीते, लेकिन त्रिशूर जिले में जिला पंचायत में एक भी नहीं जीता.राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के दोपहर 2.30 बजे के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा के नेतृत्व वाले मोर्चे ने केरल में 1,085 ग्राम पंचायत वार्ड और 44 ब्लॉक पंचायत वार्ड जीते.इनमें कोल्लम निगम के 11 वार्ड, कोझिकोड निगम के 13, कन्नूर निगम के 4 और कोच्चि निगम के 6 वार्ड भी शामिल हैं, जो इन स्थानीय निकायों में तीसरे स्थान पर हैं.तिरुवनंतपुरम निगम की लड़ाई में, एलडीएफ के कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला भाजपा अभियान एनडीए के लिए काम करता हुआ प्रतीत होता है.
2015 में मिली थी पहली सफलता
बीजेपी को 2015 के चुनावों में पहली बार बड़ी सफलता मिली. तब उसने शहरी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की और 2016 के विधानसभा चुनावों में अपनी पहली विधायक जीत की नींव रखी. 2020 के स्थानीय निकाय चुनाव एक मील का पत्थर साबित हुए, जिसमें एनडीए ने वार्डों की संख्या में वृद्धि की और दो नगरपालिकाओं और 19 ग्राम पंचायतों में पूर्ण बहुमत हासिल किया. उसे ग्राम पंचायतों में 249 सदस्य, ब्लॉक पंचायतों में 37, जिला पंचायतों में दो, नगरपालिकाओं में 320 और निगमों में 60 सदस्य मिले. इसके साथ ही बीजेपी ने कुल वोट शेयर का 15% प्राप्त किया.
इस तरह बीजेपी ने बढ़ाई पैठ
इसके बावजूद, भाजपा ने 2021 के चुनावों में अपनी एकमात्र विधानसभा सीट खो दी, जिससे उसे शहरी क्षेत्रों में अपनी बढ़त को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा. 2014 में केंद्र में एनडीए के सत्ता में आने के बाद से, बीजेपी ने राज्य की दशकों पुराने दो गठबंधनों को सक्रिय रूप से चुनौती दी है, जिस पर परंपरागत रूप से सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) का वर्चस्व रहा है. अपनी हिंदू राष्ट्रवादी छवि को ध्यान में रखते हुए, बीजेपी अल्पसंख्यक समुदायों तक सावधानीपूर्वक पहुंच बना रही है, साथ ही एनडीए के उन सहयोगियों को भी समायोजित कर रही है, जिनका जाति और समुदाय के आधार पर अलग प्रभाव है. दक्षिण केरल में, भाजपा ने हिंदुओं, विशेष रूप से नायर समुदाय के बीच अपना समर्थन बढ़ाया है और रोमन कैथोलिक समुदाय में भी पैठ बना रही है. हालांकि, लैटिन कैथोलिक, ईसाई नादर और मुसलमानों के बीच इसकी स्वीकार्यता अभी भी सीमित है. उत्तरी केरल के ग्रामीण इलाके गठबंधन के लिए चुनावी दृष्टि से कम सुलभ हैं.

भाजपा नेताओं का कहना है कि उन्होंने निकाय चुनाव से पहले अपने मुख्य गठबंधन सहयोगी, भारत धर्म जन सेना (जिससे एझवा वोट जुटाने की उम्मीद है) और अन्य विविध गुटों के साथ आंतरिक विवादों को सफलतापूर्वक सुलझा लिया था, जिससे वे एनडीए के बैनर तले एकजुट होकर चुनाव लड़े. गठबंधन इस बार केरल के लगभग 90% सीटों पर चुनाव लड़ा, जो स्थानीय निकाय चुनावों में इसकी अब तक का सबसा बड़ा नंबर है.
2020 के नतीजे

अमित शाह की किस पर नजर
पार्टी नेतृत्व ने सीपीआई (एम) के साथ नाजुक राजनीतिक संतुलन को भी समझते हुए इस बात को ध्यान में रखा कि कांग्रेस को वोट हस्तांतरण से किसी को भी लाभ नहीं होगा, जिससे पारंपरिक द्विध्रुवीय प्रतिस्पर्धा फिर से स्थापित हो सकती है.

कोच्चि में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा था कि भाजपा आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में 25% वोट हासिल करेगी, जो पार्टी के लिए एक नई शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि पार्टी का राज्य में पहले से ही मजबूत आधार है और कई लोग इसकी विचारधारा में विश्वास रखते हैं. त्रिपुरा और असम का उदाहरण देते हुए, जहां भाजपा मात्र 1% वोट शेयर से बढ़कर पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सफल रही, शाह ने कहा कि केरल के युवा, चाहे वे किसी भी समुदाय के हों, प्रदर्शन और परिणाम आधारित राजनीति को चुनेंगे. उन्होंने मनोरमा न्यूज कॉन्क्लेव 2025 में कहा, "आगामी विधानसभा चुनावों में, लोग केवल यूडीएफ और एलडीएफ के बीच चुनाव करने की बाध्यता से मुक्त होंगे." देर रात तक रिजल्ट के पूरे आंकड़े आने पर पता चलेगा कि अमित शाह की उम्मीदों पर केरल बीजेपी कितनी खरी उतरी.
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