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This Article is From Sep 09, 2022

पत्रकार सिद्दीक कप्पन को SC से मिली बेल, योगी सरकार ये कहकर कर रही थी जमानत का विरोध

वहीं यूपी सरकार ने कप्पन की जमानत का विरोध किया था. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है.

सिद्दीक कप्पन को मिली जमानत

केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली. इस मामले की सुनवाई CJI यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच कर रही है. वहीं यूपी सरकार ने कप्पन की जमानत का विरोध किया था. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है. सिद्दीकी कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है. कप्पन CAA-NRC और बाबरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले व हाथरस की घटना को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का बड़ा हिस्सा है.  वो SFI  के वित्तीय शोधनकर्ता, रऊफ शरीफ के साथ साजिश रच रहा था. 2010 में  PFI कैडर ने  ( पहले सिमी) ने बेरहमी से न्यूमैन कॉलेज के क्रिश्चियन लेक्चरर टीजे थॉमस के हाथ काट दिए थे. 2013 में जब PFI समर्थित हथियार प्रशिक्षण आतंकवादी शिविर पर केरल पुलिस ने नारथ में छापा मारा था, जिसकी NIA ने जांच शुरू की थी.

 29 अगस्त को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके पांच सितंबर तक जवाब मांगा था. यूपी सरकार ने नोटिस स्वीकार किया था. कप्पन की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा था कि सिर्फ 45 हजार रुपये बैंक में जमा कराने का आरोप है. PFI कोई बैन या आतंकी संगठन नहीं बनाया गया है. वो अक्टूबर 2020 से जेल में है. वो पत्रकार है और हाथरस की घटना की कवेरज़ के लिए जा रहा था.  5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई है.

गौरतलब है कि केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी.  इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. 3 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथरस के में दलित लड़की के साथ सामूहिक रेप तथा हत्या के मामले में माहौल में तनाव होने के बाद भी वहां जाने के प्रयास करने वाले पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को राहत नहीं दी थी. कप्पन के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम ( UAPA ) का मामला दर्ज करने के बाद उनको जेल भेजा गया है.  कप्पन मथुरा जिला जेल में बंद हैं. यह आदेश जस्टिस कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सिद्धीकी कप्पन की जमानत याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया.

इसके पूर्व अदालत ने दो अगस्त को अभियुक्त तथा सरकार की ओर से पेश वकीलों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. कप्पन को अक्टूबर 2020 में उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह हाथरस में दलित लड़की के साथ गैंगरेप व हत्या के मामले में हाथरस जा रहे थे. उसी दौरान कप्पन के खिलाफ यूएपीए (UAPA Act) के तहत मामला दर्ज किया गया था. मलयालम समाचार पोर्टल अझीमुखम के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दीक कप्पन को अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था. कप्पन उस समय हाथरस जिले में 19 वर्ष की एक दलित लड़की की सामूहिक दुष्कर्म क बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे.  उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे.

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