नई दिल्ली:
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा प्रोजेक्ट पर पर्यावरण मंत्रालय की महत्वपूर्ण एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (ईएसी) की बैठक हो रही है। इस बैठक में इस प्रोजेक्ट के हरी झंडी मिल सकती है। करीब 9300 करोड़ का यह विवादित प्रोजेक्ट पिछले कई साल से लटका पड़ा है।
केन-बेतवा प्रोजेक्ट नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं में पहला बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसके तहत मध्य प्रदेश के छत्तरपुर में केन नदी पर बांध बनेगा, जिससे छह जिलों की 6 लाख हेक्कोटेयर से अधिक ज़मीन को सींचा जाना है। इन छह जिलों में पन्ना, छत्तरपुर और टीकमगढ़ मध्य प्रदेश में हैं। बाकी तीन ज़िले बांदा, महोबा और झांसी यूपी के हैं।
इस प्रोजेक्ट को लेकर चले आ रहे विवाद के केंद्र में पन्ना टाइगर रिज़र्व है, जिसका करीब 4000 हेक्टेयर इलाका डूब जाएगा। कुल 9000 हेक्टेयर ज़मीन डूबेगी जिसमें से करीब 5000 हेक्टेयर वन भूमि है।
जल संसाधन मंत्रालय के मुताबिक करीब 10 गांवों के डेढ़ हज़ार परिवार इससे प्रभावित होंगे। पिछले साल ईएसी ने इस परियोजना से पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए चेतावनी दी थी और कहा थी कि इसे हरी झंडी देने से पहले प्रोजेक्ट पर और अध्ययन करना चाहिए।
केन-बेतवा प्रोजेक्ट नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं में पहला बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसके तहत मध्य प्रदेश के छत्तरपुर में केन नदी पर बांध बनेगा, जिससे छह जिलों की 6 लाख हेक्कोटेयर से अधिक ज़मीन को सींचा जाना है। इन छह जिलों में पन्ना, छत्तरपुर और टीकमगढ़ मध्य प्रदेश में हैं। बाकी तीन ज़िले बांदा, महोबा और झांसी यूपी के हैं।
इस प्रोजेक्ट को लेकर चले आ रहे विवाद के केंद्र में पन्ना टाइगर रिज़र्व है, जिसका करीब 4000 हेक्टेयर इलाका डूब जाएगा। कुल 9000 हेक्टेयर ज़मीन डूबेगी जिसमें से करीब 5000 हेक्टेयर वन भूमि है।
जल संसाधन मंत्रालय के मुताबिक करीब 10 गांवों के डेढ़ हज़ार परिवार इससे प्रभावित होंगे। पिछले साल ईएसी ने इस परियोजना से पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए चेतावनी दी थी और कहा थी कि इसे हरी झंडी देने से पहले प्रोजेक्ट पर और अध्ययन करना चाहिए।
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