तेलंगाना (Telangana) के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (K Chandrasekhar Rao) ने आज कहा कि, ''मैं रविवार को नीति आयोग (NITI Aayog) की बैठक का बायकाट करूंगा. देश में एनपीए घटना चाहिए, लेकिन एनपीए दस गुना बढ़ चुका है. यह विकास का लक्षण नहीं है. देश में संघीय ढांचा समाप्त हो रहा है. यह राज्यों के लिए उचित व्यवस्था नहीं है. पूर्व में नीति आयोग में मेरे सुझावों पर कोई विचार नहीं किया गया. इसलिए मुझे नीति आयोग की बैठक का बायकाट करना पड़ रहा है.''
शनिवार को हैदराबाद में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने कहा कि, ''मैंने पूर्व की नीति आयोग की बैठकों में अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिन्हें केन्द्र सरकार ने नहीं माना है. तेलंगाना की जल आपूर्त्ति योजनाओं के लिए नीति आयोग ने चौबीस हजार करोड़ रुपये तेलंगाना सरकार को देने की अनुशंसा की थी जिसे केन्द्र सरकार ने नहीं माना. यह उचित नहीं है. केन्द्र सरकार को अपना रवैया बदलना चाहिए. दूध, हैंडलूम और गरीबों द्वारा बनाए गए उत्पादों से जीएसटी तुरंत हटाना चाहिए.''
के चंद्रशेखर राव ने देश के सरकारी थिंक टैंक कहे जाने वाले नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है. इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को एक पत्र लिखा है. रविवार, यानी कल नीति आयोग की सातवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक होने वाली है. इस बैठक से पूर्व केसीआर ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.
तेलंगाना के सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र में नीति आयोग की नीतियों और उसके क्रियान्वयन के तरीके को लेकर विरोध जताया है. उन्होंने पत्र में साफ कहा है कि, ''इन तथ्यों को देखते हुए 7 अगस्त, 2022 को होने वाली नीति आयोग की शासी परिषद की सातवीं बैठक में भाग लेना उपयोगी नहीं लगता. मैं भारत को एक मजबूत और विकसित देश बनाने के सामूहिक प्रयास में राज्यों के साथ भेदभाव करने और उन्हें समान भागीदार के रूप में नहीं मानने के केंद्र सरकार के वर्तमान रुख के खिलाफ इस बैठक से दूर रहूंगा.''
उन्होंने बिंदुवार लिखे पत्र में कहा है कि ''नीति आयोग ने उपकर के रूप में राज्यों को लगभग 14 लाख करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया. क्या यह सही है, क्या यही टीम इंडिया है? क्या नीति आयोग में इस पर बहस होगी? केसीआर ने कहा है कि मैंने नीति आयोग की हर बैठक में मुद्दों को उठाया. मैं चाहता था कि मेरी बात को रिकॉर्ड पर लिया जाए. राजनाथ सिंह ने मुझसे कहा 'आपने गजब की बात की' लेकिन उसके बाद कुछ नहीं किया गया. मैंने केंद्र को सलाह दी थी कि राज्यों की प्रगति को कम न करें और उन्हें हतोत्साहित न करें.''
केसीआर ने कहा है कि, ''हमने पिछले वित्त वर्ष में 1.90 लाख करोड़ रुपये कमाए और खर्च किए, इसमें से केंद्र ने केवल पांच हजार करोड़ रुपये दिए. केंद्र से कुछ नहीं आता. क्या यह संघीय भावना है? नीति आयोग की किसी को परवाह नहीं. दिल्ली में भी पीने के पानी की आपूर्ति नहीं, बिजली की आपूर्ति नहीं. बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. यहां तक कि मनरेगा का बकाया भी नहीं मिल रहा है. सोलह राज्यों के ग्रामीणों को जनता मंतर पर प्रदर्शन करना पड़ा.''
केसीआर ने कहा है कि ''रुपया इतना नीचे चला गया है जितना पहले कभी नहीं गया. जीएसटी भी असफल साबित हो रहा है. नीति आयोग का क्या उपयोग है? क्या केंद्र उसकी सिफारिशों का सम्मान करता है?''
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