'दक्षिण का द्वार' कहा जाने वाले कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है. कांग्रेस ने जहां सत्ता में वापसी की है, वहीं बीजेपी को एक मात्र दक्षिण भारत के राज्य में मिली सत्ता गंवानी पड़ी. चुनावी नतीजे के बाद हार और जीत के कारण तलाशे जा रहे हैं. कांग्रेस को इस बार चुनाव में सकारात्मक मुद्दों का फायदा हुआ. जनता कांग्रेस के किए गए वादों से प्रभावित हुई और उसे महिलाओं और बेरोजगारों के वोट ज्यादा मिले. आइये आपको बताते हैं कांग्रेस की जीत के 5 बड़े कारण...
1. कर्नाटक में 21 दिनों तक राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा'
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक में काफी लंबा वक्त बिताया. 21 दिनों तक पैदल चलकर उन्होंने इस प्रदेश में 500 किलोमीटर से ज्यादा की जमीन नापी. इस दौरान उन्हें जनता का भारी समर्थन मिला और वहीं से कर्नाटक में जीत का आधार बना. जिसका परिणाम विधानसभा के चुनाव में दिखा.
2. भ्रष्टाचार का मुद्दा और भत्ता देने का वादा
कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी सरकार में हुए भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का मुद्दा उठाया. जिसे जनता ने स्वीकारा और बीजेपी बैकफुट पर रही. कांग्रेस ने बीजेपी की बोम्मई सरकार पर आरोप लगाया कि हर कॉन्ट्रैक्ट में वो 40 प्रतिशत कमीशन ले रही है. साथ ही कांग्रेस ने आरक्षण के साथ ही हर परिवार की एक महिला को प्रति माह दो हजार रुपये और बेरोजगारों को तीन हजार रुपये देने का वादा किया है. वहीं बजरंद दल के मुद्दे ने भी कांग्रेस को फायदा पहुंचाया.
3. कर्नाटक की जनता से आरक्षण का वादा
बीजेपी ने कर्नाटक में 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण खत्म करके उसे लिंगायत और अन्य वर्ग में बांट दिया. इस बीच कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का ऐलान कर दिया. साथ ही बीजेपी सरकार के खत्म किए गए 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण को भी फिर से लागू करने की बात कही. इस वादे से कांग्रेस को काफी फायदा हुआ. लगभग सभी वर्गों के मतदाताओं ने बड़ी संख्या में कांग्रेस को वोट किया.
4. कर्नाटक से आने वाले मल्लिकार्जुन खरगे का अध्यक्ष बनना
मल्लिकार्जुन खरगे दलित हैं और कर्नाटक राज्य से ही आते हैं. ऐसे में चुनाव से ऐन पहले खरगे को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना भी जनता को कांग्रेस के प्रति भावनात्मक रूप से जोड़ दिया. दलित वोटरों के साथ ही कर्नाटक की अन्य वर्ग की जनता के बीच भी खरगे को लेकर अपनापन का भाव दिखा और पूरे राज्य में इसको लेकर अच्छा संदेश गया.
5. बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई ने कांग्रेस को दिलाई जीत
चुनाव से पहले बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई भी खुलकर जनता के सामने आ गई थी. कई बड़े बीजेपी नेता यहां तक की पूर्व मुख्यमंत्री भी कांग्रेस में शामिल हो गए. बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद से ही भाजपा में अंदरूनी कलह शुरू हो गई थी. पार्टी के अंदर ही कई गुट बन गए थे. इसका फायदा चुनाव में कांग्रेस को मिला. साथ ही कर्नाटक कांग्रेस पार्टी के तौर पर एकजुट दिखी और सभी मतभेदों को दूर कर जनता के सामने सकारात्मक दिखे.
कांग्रेस की जीत के मायने
2014 के बाद से कई चुनावों में लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस को पिछले कुछ दिनों में हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक में मिली जीत से लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा मनोबल मिला है. पिछले एक दशक से कांग्रेस पार्टी के तौर पर और केंद्र तथा राज्य में सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है. इस जीत के बाद कांग्रेस की चार राज्यों में पूर्ण बहुमत की सरकार बन जाएगी. वहीं तीन राज्यों में वो सहयोगी दलों के साथ सरकार में शामिल है. इस जीत के बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिलेगी और आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वो दोगुने जोश के साथ मैदान में उतर सकेगी.
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