कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है. कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होगा और 13 मई को मतगणना. चुनाव 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए होने जा रहा है, जिसके बाद राज्य को अगला मुख्यमंत्री मिलेगा. कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम को देखते हुए लगता है कि जनता दल-सेक्युलर (JD-S) संभावित किंगमेकर की भूमिका निभाने के साथ, सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच एक करीबी मुकाबला होने की उम्मीद है. वहीं, कर्नाटक विधानसभा चुनावों का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की संभावनाओं पर पड़ेगा. ऐसे में भाजपा, कांग्रेस और जेडी-एस का काफी कुछ इन चुनावों में दांव में लगा नजर आ रहा है.
बहुमत न मिलने के बावजूद ऐसे बनी भाजपा की सरकार
2018 के चुनाव के बाद बनी जेडी-एस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के गिरने के बाद जुलाई 2019 में कर्नाटक में बीजेपी सत्ता में आई थी. भाजपा, गठबंधन के कई बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही, जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए और उपचुनाव जीते. विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 121 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 70 और जद-एस के पास 30 विधायक हैं. भाजपा ने अपने कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री भी बदले, बीएस येदियुरप्पा ने जुलाई 2021 में इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह बसवराज बोम्मई को ले लिया गया.
कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था कर्नाटक
इधर, कांग्रेस कर्नाटक में फिर से सत्ता हासिल करने की उम्मीद कर रही है, जो कभी उसका गढ़ हुआ करता था. पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करती रही है, जबकि अपने राज्य इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को भी प्रमुखता दे रही है. पार्टी ने चुनाव के लिए 124 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, जिसमें आधी से ज्यादा सीटें शामिल हैं. पार्टी भाजपा सरकार की कथित विफलताओं और भ्रष्टाचार को भी उजागर कर रही है और सुशासन और विकास देने का वादा कर रही है.
#WATCH | Congress is ready for elections, we want this govt to be dismissed. The earlier this govt is dismissed, the better it is for the state & country. This election will be development-oriented & for a corruption-free state & country: Karnataka Congress chief DK Shivakumar pic.twitter.com/Rn6A53fCtE
— ANI (@ANI) March 29, 2023
क्या फिर 'किंग मेकर' की भूमिका में जेडी-एस
पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडी-एस के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है, क्योंकि यह त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में दो प्रमुख पार्टियों में से किसी के पक्ष में सत्ता के संतुलन को झुका सकती है. जद-एस भाजपा और कांग्रेस दोनों से एक समान दूरी बनाए हुए है, जबकि पुराने मैसूर क्षेत्र के अपने पारंपरिक गढ़ से परे अपने आधार का विस्तार करने की भी कोशिश कर रहा है. जेडी-एस किसानों के कल्याण, क्षेत्रीय विकास और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है.
कर्नाटक राज्य का चुनाव कई कारणों से महत्वपूर्ण है. सबसे पहले, यह भारत के सबसे बड़े और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों में से एक की राजनीतिक स्थिरता और दिशा निर्धारित करेगा, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान देता है. साथ ही ये प्रदेश आईटी, जैव प्रौद्योगिकी, एयरोस्पेस और रक्षा जैसे कई प्रमुख क्षेत्रों की मेजबानी करता है. दूसरे, इसका असर राष्ट्रीय राजनीति और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की संभावनाओं पर पड़ेगा. तीसरा, यह धार्मिक आधार पर एक ध्रुवीकरण अभियान के परिणाम को प्रतिबिंबित करेगा, जो वर्षों से बढ़ रहा है. यह चुनाव भाजपा सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की कांग्रेस की कोशिशों की भी परीक्षा होगी, जिसके बारे में उसका कहना है कि यह सरकार के सभी स्तरों पर व्याप्त है. हालांकि, इस बीच कर्नाटक की 224 सीटों में से, सत्तारूढ़ भाजपा ने कम से कम 150 जीतने का लक्ष्य रखा है.
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