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नोएडा में फर्जी 'इंटरनेशनल पुलिस ब्यूरो' चलाने वाला गिरोह गिरफ्तार, NRI और OCI कार्डधारकों से करोड़ों की ठगी

जांच में यह भी सामने आया है कि ठगी से प्राप्त धनराशि को पहले अंतरराष्ट्रीय खातों में ट्रांसफर किया जाता था और फिर हवाला नेटवर्क के ज़रिए भारत में लाया जाता था.

नोएडा में फर्जी 'इंटरनेशनल पुलिस ब्यूरो' चलाने वाला गिरोह गिरफ्तार, NRI और OCI कार्डधारकों से करोड़ों की ठगी
  • नोएडा में इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो नाम से फर्जी थाना चलाने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है.
  • गिरोह का मास्टरमाइंड विभाष चंद्र अधिकारी समेत दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की गई है.
  • यह गिरोह आम नागरिकों के साथ एनआरआई और ओवरसीज़ सिटिज़न ऑफ इंडिया कार्डधारकों को डराकर ठगी करता था.
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नोएडा:

उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर 70 में 'इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो' नाम से फर्जी थाना खोलकर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस ने मास्टरमाइंड विभाष चंद्र अधिकारी समेत अराग्य अधिकारी और बाबूल चंद मंडल को गिरफ्तार कर पूछताछ की, जिससे कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.

डीपीपी शक्ति मोहन अवस्थी के अनुसार, यह गिरोह आम नागरिकों के साथ-साथ एनआरआई और ओवरसीज़ सिटिज़न ऑफ इंडिया (OCI) कार्डधारकों को निशाना बनाता था. उन्हें डराया जाता था कि अगर वे "जांच" में सहयोग नहीं करेंगे तो उन्हें भारत आने की अनुमति नहीं मिलेगी और उनका OCI कार्ड रद्द हो सकता है.

गिरोह वीडियो कॉल के ज़रिए खुद को CBI, ED, सुप्रीम कोर्ट आदि का अधिकारी बताकर पेश करता था. वे नकली दस्तावेज़, सरकारी लेटरहेड, और स्पूफिंग तकनीक का इस्तेमाल कर पीड़ितों को विश्वास दिलाते थे. फिर उन्हें भारत सरकार से Police Clearance Certificate (PCC) दिलाने के नाम पर पैसे ऐंठते थे.

गिरोह पीड़ितों को CBI के "सुपरविजन अकाउंट" में धनराशि भेजने को कहता था, यह दावा करते हुए कि ट्रांजैक्शन ट्रैक किया जाएगा और राशि वापस कर दी जाएगी. इसके बाद उन्हें नकली Acknowledgement Letter दिया जाता था, जिस पर CBI और RBI की मुहर लगी होती थी.

जांच में यह भी सामने आया है कि ठगी से प्राप्त धनराशि को पहले अंतरराष्ट्रीय खातों में ट्रांसफर किया जाता था और फिर हवाला नेटवर्क के ज़रिए भारत में लाया जाता था.

इसके अलावा, गिरोह ने एक अन्य संस्था 'National Bureau of Social Investigation and Social Justice' के नाम से भी फर्जी सम्मन और आदेश जारी किए, जो पुलिस दस्तावेज़ों की तरह दिखते थे और आम जनता पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे.


 

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