कर्नाटक चुनाव के नतीजे (Karnataka assembly election Result 2023) सामने हैं. यहां कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. चुनाव आयोग के शाम 5 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस 136 सीटें, बीजेपी 64 और जेडी (एस) 20 सीटों पर जीत चुकी है या बढ़त बनाए हुए हैनतीजों से साफ हो रहा है कि चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने लिंगायत समुदाय (Lingayat Vote) को लुभाने की जो कोशिश की थी, उसका कोई फायदा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री के रूप में बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) के पद छोड़ने से लिंगायत वोट के मामले में बीजेपी को भारी कीमत चुकानी पड़ी. इसे जगदीश शेट्टार और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी के टिकट से इनकार के साथ जोड़ दें तो यह उन सीटों में हार का फॉर्मूला था, जहां लिंगायत वोट निर्णायक हैं.
कर्नाटक की आबादी में लिंगायत समुदाय की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है. राजनीतिक रूप से यह प्रमुख वर्ग है. लिंगायत संभावित रूप से लगभग 80 सीटों पर परिणाम बदल सकते हैं. दिक्कत यह है कि लिंगायत समुदाय ने ही बीजेपी को एकमात्र दक्षिणी राज्य में पैठ बनाने में सक्षम बनाया था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा लिंगायत मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल को अचानक बर्खास्त किए जाने के बाद 80 के दशक में कांग्रेस समर्थक समुदाय ने बीजेपी के रूप में अपनी वफादारी बदल दी.
बसवराज बोम्मई की नियुक्ति से नहीं हुआ डैमेज कंट्रोल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद जब वह जुलाई 2021 में अपने चौथे कार्यकाल के दौरान पद छोड़ने वाले थे, तो लिंगायत समुदाय परेशान था. 77 वर्षीय येदियुरप्पा इस समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं. बीजेपी ने लिंगायत समुदाय और पार्टी के बीच गैप को दूर करने की कोशिश की. सीएम पद पर येदियुरप्पा के समर्थक बसवराज बोम्मई की नियुक्ति की गई, लेकिन इससे 'दरार' भर नहीं पाया. 500 शक्तिशाली लिंगायत साधुओं का एक समूह विरोध करने के लिए इकट्ठा हुआ था. उनमें से एक ने उस समय चेतावनी दी थी कि येदियुरप्पा के रूप में ये क्षति 'अपूरणीय' होगी.
लिंगायत संत ने लगाया था 30 फीसदी कमीशन का आरोप
बाद में एक लिंगायत संत ने सरकार पर मठों से भी 30 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाया. इस शिकायत ने समुदाय के बीच सरकार की इमेज और खराब कर दी थी.
टिकट बंटवारे से भी बढ़ा आक्रोश
चुनावों के दौरान बीजेपी को एक और झटका लगा. बीजेपी ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी को टिकट देने से इनकार कर दिया. राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिंगायत समुदाय के गुस्से और आक्रोश को बढ़ाने के लिए यह पर्याप्त था. इस समुदाय से कर्नाटक में अब तक 9 मुख्यमंत्री बने हैं. लिंगायत समुदायों का आक्रोश इतना ज्यादा था, जो सरकार के अतिरिक्त आरक्षण के लेप से भी कम नहीं हुआ.
मार्च में सत्तारूढ़ बीजेपी ने मुसलमानों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग के चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म कर दिया था. इसे लिंगायत, वोक्कालिगा और अनुसूचित जाति और जनजाति के बीच बांट दिया गया था. कांग्रेस ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की थी.
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