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मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी, अब 17 साल बाद हुआ कर्नल प्रसाद पुरोहित का प्रमोशन

कर्नल पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि उन्हें राजनीति के तहत फंसाया गया था. 1994 में कर्नल पुरोहित मराठा लाइट इन्फेंटरी में शामिल हुए थे.

मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी, अब 17 साल बाद हुआ कर्नल प्रसाद पुरोहित का प्रमोशन
कर्नल पुरोहित को मिला प्रमोशन
  • मालेगांव ब्लास्ट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को कोर्ट से बरी होने के बाद सेना ने प्रमोशन दिया है.
  • 31 जुलाई को कोर्ट ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में कर्नल पुरोहित समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था
  • 2008 के मालेगांव ब्लास्ट में छह लोगों की मौत हुई और सौ से अधिक लोग घायल हुए थे
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मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट से बरी होने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को 17 साल के लंबे इंतजार के बाद प्रमोशन मिला. सेना से प्रमोशन मिलने के बाद अब वह फुल कर्नल हो गए हैं. आपको बता दें कि 31 जुलाई को मुंबई की स्‍पेशल कोर्ट ने कर्नल पुरोहित समेत मामले के सभी आरोपियों को साल 2008 में हुए मालेगांव ब्‍लास्‍ट केस से बरी कर दिया था. इस ब्‍लास्‍ट में 6 लोगों की मौत हो गई थी तो वहीं 100 से ज्‍यादा लोग घायल हो गए थे. 

'झूठे केस में फंसाया गया' 

मालेगांव ब्‍लास्‍ट केस में कर्नल पुरोहित को 9 साल जेल में बिताने पड़े थे. सुप्रीम कोर्ट में उन्‍होंने दलील दी थी कि उन्हें राजनीति के तहत फंसाया गया था. साल 1994 में कर्नल पुरोहित मराठा लाइट इन्फेंटरी में कमीशंड हुए थे. बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह कर्नल पुरोहित की नई तस्‍वीर एक्‍स पर पोस्‍ट की है. 

थम गया कर्नल का करियर 

कुछ दिन पहले ही मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट के फैसले के बाद ऐसी जानकारियां आई थीं कि सेना ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के करियर पर पिछले 16 साल से लगा डिसिप्लिन एंड विजिलेंस (DV) बैन हटा दिया है.  सेना के सूत्रों के मुताबिक, बैन हटाने की फाइल सदर्न कमांड को भेज दी गई थी. इससे उनके प्रमोशन और बाकी सर्विस हक बहाल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई. केस में आरोपी बनने के बाद जब उन्‍हें गिरफ्तार किया गया तो उन पर DV बैन लगा दिया गया. इससे कर्नल पुरोहित का पूरा मिलिट्री करियर थम गया. 

कैसे खुला प्रमोशन का रास्‍ता 

आर्मी एक्‍ट के तहत DV बैन लगते ही ऑफिसर का नाम प्रमोशन बोर्ड में नहीं जाता. यही वजह रही कि कर्नल के पद के लिए क्वालिफाई होने के बावजूद उनका नाम कभी बोर्ड में नहीं गया. फाइल सदर्न कमांड से होते हुए दिल्ली स्थित आर्मी हेडक्वार्टर्स आई. यहां पर टॉप लेवल पर डि-क्लासिफिकेशन और लीगल क्लीयरेंस दिया गया. इसके बाद स्पेशल बोर्ड ने उनके पुराने प्रमोशन असेसमेंट को देखा और उन्हें कर्नल के पद पर प्रमोट करने पर फैसला लिया गया.

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