
- मालेगांव ब्लास्ट केस के नामजद आरोपी बरी होने के बाद सिस्टम और राजनीति पर गहरी निराशा व्यक्त करते नजर आए.
- मेजर रमेश उपाध्याय ने कहा कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप पूरी तरह फर्जी और बिना प्रमाण के थे.
- ब्लास्ट स्थल पर सिमी का ऑफिस होने की बात कही और कहा कि हो सकता है वहां बम निर्माण के दौरान विस्फोट हुआ हो.
सत्ता कैसे अपने ही नागरिकों की जिंदगियां तबाह कर सकती है इसका उदाहरण मालेगांव ब्लास्ट केस में देखने को मिला. बरी होने के बाद मालेगांव ब्लास्ट के नामजद आरोपी एक साथ नजर आए तो आपबीती सुनाई. सिस्टम पर गुस्सा भी दिखा और राजनीति से घृणा भी नजर आई. मुंबई के सावरकर भवन में मालेगांव ब्लास्ट के आरोप से बरी हुए लोगों के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया गया. इसमें मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, राकेश धावड़े, जगदीश म्हात्रे, सुधाकर चतुर्वेदी, श्याम शाहू (ये पहले ही बरी हो गए थे) मौजूद रहे. यह सम्मान समारोह प्राइवेट इवेंट था, जिसके बाद सभी ने मिलकर मीडिया को संबोधित किया.
साध्वी प्रज्ञा को...
मेजर रमेश उपाध्याय ने कहा कि जिस दिन यह घटना हुई, उसके कुछ दिन बाद ATS उन्हें लेकर चली गई और कुछ दिन बाद हेमंत करकरे उनके घर आए और उनके परिवार को डराया-धमकाया गया. हमारा नार्को टेस्ट कराया गया, जो कोर्ट में पेश किया ही नहीं गया. हमारे ऊपर जो भी आरोप लगाए गए, वे फर्जी थे. केवल ATS के कहने पर हमारे ऊपर मकोका और UAPA लगा दिया गया. अगर 26/11 में कसाब नहीं पकड़ा जाता तो शायद उसका इल्जाम भी हिन्दुओं पर आता. रमेश उपाध्याय ने बताया कि ऐसी हो सकता है कि साध्वी प्रज्ञा को पीएम मोदी का नाम लेने को लेकर उन पर दबाव बनाया गया हो, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं कहा गया.
...वहां सिमी का ऑफिस था
रमेश उपाध्याय ने कहा कि हमने जस्टिस देख लिया, न्याय देख लिया. पहला न्याय भगवान ने किया. कसाब ने हेमंत करकरे को मार दिया. दूसरा न्याय इंसान ने जज के रुप में किया कि हम बरी हुए. अब बस यह देखना बाकी है कि जिन्होंने हमारे साथ यह किया, उन्हें भी सजा मिले. रमेश उपाध्याय ने कहा कि जहां पर ब्लास्ट हुआ, वहां शकील गुड्स एंड ट्रांसपोर्ट का एक दफ्तर था और उसके ऊपर सिमी का ऑफिस था. जांच में कितना आया या नहीं आया, वह नहीं पता, लेकिन यह जरूर कहूंगा कि हो सकता है वहां कोई बम बना रहा हो और उस दौरान ब्लास्ट हो गया हो.
तब चुनाव थे और वोट की राजनीति...
श्याम शाहू ने बताया कि पूरी कहानी बताने में काफी समय लग जाएगा. देश का दुर्भाग्य है कि कुछ पार्टियों ने फायदे के लिए हिंदू धर्म को बदनाम किया. इन लोगों को किसी एक व्यक्ति की जिंदगी से लेना-देना नहीं था. तब चुनाव थे और वोट की राजनीति के लिए ऐसा किया गया. केवल फायदे के लिए हिंदू और भगवा आतंकवाद का नाम लिया. दिग्विजय सिंह ने कहा था कि हेमंत करकरे से उनकी बात होती थी, सवाल है कि उनका केस से क्या लेना-देना था. उनका क्या कनेक्शन था?
जो 2 झापड़ मार देगा...
समीर कुलकर्णी ने भी अपना दर्द बयान किया. सुधाकर चतुर्वेदी ने बताया कि 23 अक्टूबर 2008 को उन्हें गिरफ्तार कर काला चौकी पुलिस स्टेशन लाया गया और मारपीट की गई. 19 नवंबर तक मैं ठाणे जेल में था. ट्रायल कोर्ट में हमारी बात नहीं सुनी गई. बाद में NIA ने कहा कि बम मेरे घर में रखा गया. आज भी वो API खुला घूम रहा है. पूरा केस ही फ्रेम किया गया. हमने तब जिसका नाम लिया, उसको उठा लिया जा रहा था, इसलिए हमने बाद में किसी नाम लिया. पृथ्वीराज चव्हाण कहते हैं, भगवा आतंकवाद... अब भी शर्म नहीं आ रही, उनको जो 2 झापड़ मार देगा, उनको दो लाख रुपए इनाम दूंगा.
दोस्ती थी गुनाह
राकेश धावड़े ने बताया जब मुझे गिरफ्तार किया तो बताया नहीं गया कि क्यों गिरफ्तार कर रहे हैं? उन्होंने धमकी दी और कुछ नाम पूछे? पूछा कि किसी को जानते हो? मैं कर्नल पुरोहित को जानता था. उनका नाम लिया. फिर मुझसे कहा गया कि चलिए आपको सुबह छोड़ देते हैं और फिर 10 साल बाद न्यायालय ने छोड़ा. जगदीश म्हात्रे ने कहा कि मेरा गुनाह केवल इतना था कि मैं राकेश धावड़े का दोस्त था. न्यायालय का धन्यवाद.
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