
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर की समीक्षा के लिए नई समिति गठित करने की मांग को खारिज कर दिया है. यह फैसला विपक्ष के तीखे सवालों और ममता बनर्जी की आलोचना के बीच आया है, जिन्होंने पहलगाम हमले को आंतरिक सुरक्षा की "बड़ी विफलता" करार दिया था. सूत्रों के अनुसार सरकार कोई नई समिति बनाने पर विचार नहीं कर रही है.
विपक्ष का दबाव और ममता की आलोचना
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने इसे आंतरिक सुरक्षा में गंभीर चूक बताते हुए कड़ी आलोचना की थी. इससे पहले, कांग्रेस ने भी मांग की थी कि केंद्र सरकार पहलगाम हमले की जांच के लिए कारगिल युद्ध के बाद गठित सुब्रहमण्यम समिति जैसी एक उच्चस्तरीय समिति बनाए. कांग्रेस ने तर्क दिया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कारगिल युद्ध के तीन दिन बाद ही ऐसी समिति गठित की थी, जिसके आधार पर रक्षा और खुफिया तंत्र में सुधार किए गए थे.
कारगिल समिति और उसकी सिफारिशें
1999 के कारगिल युद्ध के बाद गठित के. सुब्रहमण्यम समिति ने देश के सुरक्षा ढांचे की गहन समीक्षा की थी. इसके बाद तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में मंत्रियों का समूह (जीओएम) बनाया गया था, जिसमें वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री शामिल थे.
11 मई 2001 को कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति ने जीओएम की सभी सिफारिशों को मंजूरी दी थी, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति और भविष्य में कारगिल जैसे हालात से निपटने के लिए ठोस कदम शामिल थे. सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन सिफारिशों के आधार पर ही मौजूदा सुरक्षा ढांचा संचालित हो रहा है, और पहलगाम हमले की समीक्षा के लिए नई समिति की जरूरत नहीं है.
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