Jharkhand Assembly Elections: झारखंड की राजनीति में आज एक दिलचस्प मोड़ आ गया जब इंडिया अलायंस (INDIA Alliance) के एक प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस पर दबाव की राजनीति शुरू कर दी. मामला इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे से जुड़ा था. जब आरजेडी के पाले में केवल 6 सीटें आईं तो उन्होंने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए. आरजेडी ने न केवल अल्टीमेटम दिया बल्कि यहां तक साफ कर दिया कि आगे के रास्ते सभी के लिए खुले हैं, यानी चेतावनी आरपार की है.
शनिवार को जब सीटों की घोषणा हुई थी तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 70 सीटें जेएमएम और कांग्रेस के लिए रख ली थीं और 11 सीटें आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों के लिए छोड़ी थीं. जानकारों का कहना है कि उन 11 सीटों में से 5 वाम दलों को जानी हैं और 6 आरजेडी को. यही बात आरजेडी को नागवार गुजरी.
तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को झारखंड में छह विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारी मिल रही है. अधिकांश सीटों पर उसकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) चुनाव लड़ने वाली हैं.आरजेडी अधिक सीटों पर उम्मीदवारी पाने के लिए प्रयास कर रही है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने रविवार को कहा कि 12-13 सीटों से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनावों में अकेले उतरने की बात भी कही.
आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों के लिए सिर्फ 11 सीटें
राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी हेमंत सोरेन की जेएमएम और उसके सहयोगी दल कांग्रेस ने 81 में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इससे आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों के लिए सिर्फ 11 सीटें बचेंगी. सूत्रों ने बताया कि आरजेडी को छह सीटें ऑफर की जा सकती हैं, जबकि वामपंथियों को बाकी सीटें मिलेंगी. मनोज झा ने कहा कि झारखंड में उनकी पार्टी की 18 से 20 सीटों पर मजबूत पकड़ है.
मनोज झा ने संवाददाताओं से कहा, "हमारा एकमात्र उद्देश्य भाजपा को हराना है. हम इंडिया ब्लॉक को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे... अगर हम झारखंड में अकेले चुनाव भी लड़ते हैं, तो हम 60-62 सीटों पर इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे."
''गठबंधन में सबको करना पड़ता है त्याग और बलिदान''
झारखंड में आरजेडी के कड़े रुख पर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि, ''कोई संकट नहीं है, जब गठबंधन पर बात होती है तो सबको थोड़ा त्याग और बलिदान करना पड़ता है. 2014 में कांग्रेस 67 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन 2019 में 31 सीटों पर लड़ी क्योंकि गठबंधन का मामला था. मनोज झा जब बोलते हैं, थोड़ा आक्रामक लगता ही है. हम एकजुट हैं, सब कुछ जल्दी ठीक हो जाएगा.''
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झारखंड में सन 2019 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था और केवल एक पर जीत हासिल की थी. जेएमएम ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 30 पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से वह 16 पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी. दोनों दलों ने कुल 47 सीटें जीती थीं, जो कि बहुमत के लिए जरूरी 41 सीटों से अधिक है.
इस बार जेएमएम को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भरोसा करते हुए अपनी हिस्सेदारी बढ़ाए जाने की उम्मीद है. सोरेन की हाल ही में भ्रष्टाचार के एक मामले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा गिरफ्तारी किए जाने से पार्टी के समर्थकों में आक्रोश है.
विपक्ष के लिए भाजपा के सामने एकजुट बने रहने की चुनौती
दूसरी ओर चुनावी तापमान भाजपा के उम्मीदवारों की सूची को लेकर भी बढ़ा है. भाजपा ने जैसे ही उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित की उसमें कई चेहरे ऐसे दिखे जो भाजपा को परिवारवाद के मुद्दे पर सीधे कठघरे में खड़ा करते हैं. इस मुद्दे पर भाजपा की मंशा साफ है, आरोप चाहे जो भी लगे. उम्मीदवार वही होगा जिसमें जीतने की क्षमता हो. इंडिया गठबंधन के दल यह बात अच्छे से समझते हैं कि अगर भाजपा से निपटना है तो किसी भी कीमत पर एकता बनाकर एक संगठित दल के रूप में चुनाव लड़ना होगा नहीं तो सत्ता उनके हाथ से जाती रहेगी.
एनडीए ने सीटों के बंटवारे के फार्मूले को पहले ही अंतिम रूप दे दिया है. इसके तहत भाजपा 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) 10 पर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) दो पर और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) एक सीट पर चुनाव लड़ेगी.
झारखंड में 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा. वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी.
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