झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) के लिए एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया है. झारखंड में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ा गठजोड़ बनाया है. पार्टी ने आजसू, जदयू और लोजपा के साथ सीट शेयर किया है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से चतरा विधानसभा सीट लोक जनशक्ति पार्टी के लिए छोड़ा गया है. इस सीट पर अभी राष्ट्रीय जनता दल के नेता सत्यानंद भोक्ता विधायक हैं. हालांकि बीजेपी की भी इस सीट पर अच्छी पकड़ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर जनार्दन पासवान मैदान में उतरे थे. उन्हें इस सीट पर 35.34 प्रतिशत वोट मिला था. आइए जानते हैं. बीजेपी ने यह सीट चिराग पासवान के लिए क्यों छोड़ दिया?
चतरा विधानसभा सीट का क्या है गणित?
चतरा विधानसभा सीट एससी सुरक्षित सीट है. इस सीट पर पासवान वोटर्स की संख्या अच्छी रही है.साथ ही बिहार से सटे होने के कारण बिहार की राजनीति का भी प्रभाव रहा है. पिछले चुनाव में राजद को इस सीट पर जीत मिली थी. यादव वोटर्स की संख्या भी यहां अच्छी रही है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी कई दफे इस सीट से चुनाव जीत चुकी है. साल 1985 से इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं. हालांकि बाद के दिनों में कुछ चुनावों में बीजेपी को हार का भी सामना करना पड़ा था.
बीजेपी ने एक तीर से साधे कई निशाने?
चतरा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही कई उम्मीदवार थे. आपसी विवाद की समस्या को भी पार्टी आलाकमान ने एक झटके में खत्म कर दिया. चिराग पासवान को एक सीट देकर बीजेपी ने व्यापक एनडीए का मैसेज विपक्ष को दिया है. झारखंड में पासवान, पासी और हाजरा जाति जिसका जातिगत आधार लगभग एक ही है की आबादी लगभग 2 प्रतिशत तक मानी जाती है. कई ऐसी विधानसभा की सीटे हैं जहां ये वोटर्स जिस तरफ जाते हैं वो निर्णायक साबित होते हैं. ऐसे में बीजेपी ने राज्य स्तर पर पासवान जाति को इस समझौते के माध्यम से एक संदेश दिया है.
झारखंड के बहाने बिहार उपचुनाव पर नजर
बिहार से सटे चतरा सीट पर लोजपा के उम्मीदवार के होने से बिहार में होने वाले उपचुनाव के परिणाम को भी साधने की कोशिश बीजेपी की तरफ से की गयी है. झारखंड में सीट मिलने के बाद बिहार में यह संदेश आसानी से पहुंचाया जा सकता है कि लोजपा बीजेपी और एनडीए के साथ मजबूती के साथ खड़ा है.
चिराग पासवान की छवि का मिलेगा लाभ
बिहार झारखंड के शहरी इलाकों में भी चिराग पासवान की एक अपील रही है. युवाओं के बीच चिराग पासवान की अच्छी लोकप्रियता है. बीजेपी एक दलित चेहरे के तौर पर भी चिराग पासवान से चुनाव प्रचार करवा सकती है. जिसका सीधा लाभ एनडीए की रणनीति को होगा.
आदिवासी सीटों पर हार को दलित सुरक्षित सीटों से पाटने की कोशिश
झारखंड में पिछले विधानसभा चुनाव और हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को आदिवासी सुरक्षित सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में बीजेपी की नजर दलितों के लिए सुरक्षित सीटों पर है. राज्य में एससी के लिए 9 सीटें सुरक्षित हैं. भारतीय जनता पार्टी ने दलित वोट को साधने के लिए पहले अमर बाउरी को विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया था. ऐसे में चिराग बीजेपी के एससी वोट को साधने की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं.
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