Jhansi Fire Case: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में शुक्रवार रात को महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज (Jhansi Medical College Fire) के बच्चा वार्ड में आग लगने की वजह से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई. वहीं कई शिशु घायल भी हो गए, जिनका इलाज किया जा रहा है. घटना के बाद से ही अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लग रहा है. सवाल उठ रहे हैं कि जब केंद्र द्वारा मॉक ड्रिल के आदेश दिए गए थे तो भी एक्सपायरी वाले सिलेंडर क्यों नहीं हटे हैं. जानकारी के मुताबिक झांसी मेडिकल कॉलेज के नियो नेटल इंटेंसिव केयर यूनिट की क्षमता 18 बच्चों की है लेकिन जब वहां आग लगी तब वहां 49 नवजात बच्चे एडमिट थे. इनमें से अंदर के हिस्से में बने क्रिटिकल यूनिट में भर्ती दस बच्चों की मौत झुलसने की वजह सो हो गई है.
यूपी के डिप्टी सीएम ने दिए थे मॉक ड्रिल के आदेश
सामने आया है कि यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने शनिवार को बताया था कि फरवरी के महीने में झांसी मेडिकल कॉलेज में फायर ऑडिट और जून के महीने में मॉक ड्रिल हुई थी. यह भी सामने आया है कि केंद्र सरकार के एडिशनल हेल्थ सेक्रेटरी एस एस चांगसन ने सभी राज्यों को चिट्ठी लिखकर फायर सेफ्टी के लिए मेडिकल कॉलेजों में मॉक ड्रिल कराने का निर्देश दिया था. इसके लिए 14 नवंबर की डेडलाइन तय की गई थी.
24 अक्टूबर को केंद्र ने मेडिकल कॉलेजों में मॉक ड्रिल की चिट्ठी की थी जारी
केंद्र की ये चिट्ठी 24 अक्टूबर को आई थी. यूपी में हेल्थ और हेल्थ एजुकेशन के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने 8 नंवबर को सभी जिलों के डीएम को चिट्ठी लिखकर अपने ज़िलों के मेडिकल कॉलेज में मॉक ड्रिल कराने को कहा था. ये चिट्ठी सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल को भी भेजी गई था. कहा गया कि 12 से 14 नवंबर तक ये ड्रिल करा कर केंद्र सरकार के वेबसाइट पर अपलोड करा दी जाएगी. लेकिन अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि झांसी के मेडिकल कॉलेज में यह मॉक ड्रिल हुई थी कि नहीं हुई थी. ऐसे में अगर ड्रिल हुई थी तो एक्सपायरी डेट वाले फायर एक्सटिंगुइशर अस्पताल में क्यों थे?
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