राष्ट्रीय लोकदल के प्रतिनिधि सभा ने जयंत चौधरी को तीन साल के लिए अध्यक्ष चुना है. दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में प्रतिनिधि सभा की बैठक में अध्यक्ष चुने जाने के बाद जयंत ने कहा, "अपनी जिम्मेदारी के प्रति समर्पित रहूंगा. हमारी ताकत बढ़ रही है. अगर जनता के बीच रहंगे तो हम और आगे बढ़ेंगे. किसानों की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि किसान आंदोलन होता है. पीएम सबको आश्वासन देते हैं. कहते हैं कि समाधान करेंगे लेकिन बजट भी पेश हो गया पर निराशा हाथ लगी है. किसान ठगा महसूस रहा है. मनरेगा का बजट कम कर दिया है. गरीब और कमजोर पर मार पड़ रही है.
किसानों से जुड़ी परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा, "ट्रैक्टर भी कम बिक रहे हैं. कितने किसान आत्महत्या कर रहे हैं, यह सब जानकारी बाहर नहीं आ रही है. खेती के लिये लागत बढ़ रही है, उनके लिये कोई व्वयस्था नही है. बजट का पैसा किसानों के पास नहीं जा रहा. कर्ज इतना बढ़ गया है कि किसान चुका पाने की हालत में नहीं हैं. किसान का एक बार लोन माफी नहीं चाहिए, यह संस्थागत होना चाहिए. इसमें सुधार होनी चाहिए. मैं इसपर निजी विधेयक पेश करूंगा."
जयंत ने कहा, दूसरे राज्यों में अपने विचारधारा के करीब वाले ऐसे दलों के काम करूंगा, जो सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के खिलाफ हैं. एक प्रणाली बने जो सरकारी क्षेत्र पद खाली है, वो छह महीने में भरे जाएं. उन्होंने कहा कि पीएम केवल नौकरी देने का ढोल पीट रहे हैं. महिलाओं की 50 फ़ीसदी आबादी है लेकिन उनको प्राइवेट सेक्टर में उस अनुपात में नौकरी नहीं मिल रहा है. गांव के लोगों को ऊपरी लेवल पर नौकरी नहीं मिलती है. हमें कमजोर की आवाज बनना है.कोई पद स्थाई नही है, विचारधारा को मजबूत करें. हमें अपने कमियों और खूबियों पर ध्यान देने की जरूरत है.
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