जावेद अख्तर ने गुरमेहर कौर के संदेश के पक्ष में अपनी बात रखी थी (फाइल फोटो)
मुंबई:
रामजस कॉलेज में हुए हंगामे के बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा गुरमेहर कौर का नाम चर्चा में रहा. रामजस में हुई हिंसा के बाद गुरमेहर ने ‘मैं एबीवीपी से नहीं डरती’ मुहिम की शुरूआत की थी जिसका समर्थन और विरोध दोनों किया गया था. क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, पहलवान योगेश्वर दत्त और अभिनेता रणदीप हुड्डा द्वारा गुरमेहर के एक पुराने वीडियो पर टिप्पणी करने के बाद मामले ने और तूल पकड़ लिया. वहीं, गीतकार जावेद अख्तर गुरमेहर के बचाव में सामने आए और उन्होंने सहवाग और हुड्डा के बारे में ट्वीट किया था कि ‘यदि कोई कम पढ़ा लिखा खिलाड़ी या पहलवान एक शहीद की शांतिप्रिय पुत्री को ‘ट्रोल’ करता है तो बात समझ में आती है लेकिन हमारे पढ़े लिखे लोगों को क्या हो गया है.’
लेकिन अब जावेद अख्तर ने अपने शब्द वापस ले लिए हैं. उन्होंने गुरुवार रात एक ट्वीट में लिखा कि 'सहवाग निस्संदेह एक महान खिलाड़ी हैं और वह यह बात साफ भी कर चुके हैं कि वह सिर्फ मज़ाक कर रहे थे और वह गुरमेहर के खिलाफ नहीं है, इसलिए मैं भी अपने कड़वे शब्द वापस लेता हूं.' इसके अलावा अख़्तर ने इस मुद्दे पर गौतम गंभीर की राय की प्रशंसा करते हुए लिखा कि 'गौतम गंभीर के लिए मेरे मन में सम्मान है क्योंकि दक्षिण कट्टरपंथी और ट्रोल से बगैर डरे वह गुरमेहर की अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए डटे रहे.'
साथ ही बॉलीवुड के लोकप्रिय गीतकार ने यह भी लिखा कि 'ऐसे कई रिटायर्ड सैन्यकर्मी हैं जिन्होंने गुरमेहर के बयान का समर्थन किया, लेकिन शायद कुछ लोगों के पैमानों के हिसाब से वे 'देशभक्त' नहीं हैं.' यही नहीं जावेद अख्तर ने बीजेपी नेता शाज़िया इल्मी को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में नहीं बुलाए जाने के मुद्दे पर भी बात करते हुए लिखा कि 'यह शर्म की बात है कि ट्रिपल तलाक़ के मुद्दे को संवेदनशील बताते हुए शाज़िया को बोलने नहीं दिया गया. ऐसे लोग किस मुंह से दूसरों से सहिष्णुता की अपेक्षा करते हैं.'
गौरतलब है कि सहवाग ने एक मार्च को एक ट्वीट में सफाई देते हुए लिखा था कि वह सिर्फ मज़ाक कर रहे थे और उनका इरादा किसी को परेशान करने का नहीं था. साथ ही उन्होंने यह भी लिखा था कि 'गुरमेहर को अपनी बात कहने का पूरा हक है और उन्हें बलात्कार या हिंसा की धमकी दिया जाना सबसे निचले दर्जे की हरकत है.'
बता दें कि रामजस विवाद के बाद बीजेपी ने भी पलटवार किया और पार्टी नेता शाजिया इल्मी ने कुछ व्हॉट्सऐप मैसेज शेयर करते हुए दावा किया कि किस प्रकार जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में मुस्लिम महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर जब उन्हें आमंत्रित किया गया था, और दबाव में बाद में उनका नाम हटा दिया गया. उनका कहना था कि वह वहां ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर बोलने वाली थीं.
लेकिन अब जावेद अख्तर ने अपने शब्द वापस ले लिए हैं. उन्होंने गुरुवार रात एक ट्वीट में लिखा कि 'सहवाग निस्संदेह एक महान खिलाड़ी हैं और वह यह बात साफ भी कर चुके हैं कि वह सिर्फ मज़ाक कर रहे थे और वह गुरमेहर के खिलाफ नहीं है, इसलिए मैं भी अपने कड़वे शब्द वापस लेता हूं.' इसके अलावा अख़्तर ने इस मुद्दे पर गौतम गंभीर की राय की प्रशंसा करते हुए लिखा कि 'गौतम गंभीर के लिए मेरे मन में सम्मान है क्योंकि दक्षिण कट्टरपंथी और ट्रोल से बगैर डरे वह गुरमेहर की अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए डटे रहे.'
Since Sehwag undoubtedly a great player has clarified he was just being facetious n is not anti Gurmehar I take back my rather harsh words.
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) March 2, 2017
My respect for Gautam Gambhir who with out any fear of trolls n right wing extremists has stood for Gurmehar 's freedom of expression.Bravo
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) March 2, 2017
साथ ही बॉलीवुड के लोकप्रिय गीतकार ने यह भी लिखा कि 'ऐसे कई रिटायर्ड सैन्यकर्मी हैं जिन्होंने गुरमेहर के बयान का समर्थन किया, लेकिन शायद कुछ लोगों के पैमानों के हिसाब से वे 'देशभक्त' नहीं हैं.' यही नहीं जावेद अख्तर ने बीजेपी नेता शाज़िया इल्मी को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में नहीं बुलाए जाने के मुद्दे पर भी बात करते हुए लिखा कि 'यह शर्म की बात है कि ट्रिपल तलाक़ के मुद्दे को संवेदनशील बताते हुए शाज़िया को बोलने नहीं दिया गया. ऐसे लोग किस मुंह से दूसरों से सहिष्णुता की अपेक्षा करते हैं.'
गौरतलब है कि सहवाग ने एक मार्च को एक ट्वीट में सफाई देते हुए लिखा था कि वह सिर्फ मज़ाक कर रहे थे और उनका इरादा किसी को परेशान करने का नहीं था. साथ ही उन्होंने यह भी लिखा था कि 'गुरमेहर को अपनी बात कहने का पूरा हक है और उन्हें बलात्कार या हिंसा की धमकी दिया जाना सबसे निचले दर्जे की हरकत है.'
बता दें कि रामजस विवाद के बाद बीजेपी ने भी पलटवार किया और पार्टी नेता शाजिया इल्मी ने कुछ व्हॉट्सऐप मैसेज शेयर करते हुए दावा किया कि किस प्रकार जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में मुस्लिम महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर जब उन्हें आमंत्रित किया गया था, और दबाव में बाद में उनका नाम हटा दिया गया. उनका कहना था कि वह वहां ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर बोलने वाली थीं.
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