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This Article is From Aug 03, 2023

"महात्मा गांधी की वजह से भारत के साथ रहा जम्मू-कश्मीर": आर्टिकल 370 पर बोले फारूक अब्दुल्ला

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "जम्मू-कश्मीर की त्रासदी यह है कि जब से भारत को आजादी मिली और दो देश बने. तो पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने सोचा कि कश्मीर उनकी जेब में है. उन्हें एहसास ही नहीं हुआ कि ऐसा नहीं है...."

"महात्मा गांधी की वजह से भारत के साथ रहा जम्मू-कश्मीर": आर्टिकल 370 पर बोले फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर ने कभी आजादी नहीं मांगी (फाइल)
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत के साथ रहा, क्योंकि महात्मा गांधी ने कहा था कि यह देश सभी के लिए है. फारूक अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग से राज्य में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है. अब्दुल्ला ने कहा, "केंद्र शासित प्रदेश में अब चुनाव की सख्त जरूरत है. फारूक अब्दुल्ला ने इस बात पर जोर दिया कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी अनुच्छेद था, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह होना था, जो कभी नहीं हुआ." जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विपक्षी दलों के कई नेता शामिल हुए. 

इस कार्यक्रम में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक यूसुफ तारिगामी, करगिल के नेता सज्जाद हुसैन कारगिली, द्रमुक सांसद कनिमोझी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, कांग्रेस सांसद शशि थरूर और राजद सांसद मनोज झा ने भाग लिया.

जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में हुआ था. तब भारतीय जनता पार्टी (BJP) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने मिलकर सरकार बनाई थी. जून 2018 में गठबंधन टूट गया और राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. इसके बाद अगस्त 2019 में केंद्र ने संविधान के आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया और राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया.

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "जम्मू-कश्मीर की त्रासदी यह है कि जब से भारत को आजादी मिली और दो देश बने. तो पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने सोचा कि कश्मीर उनकी जेब में है. उन्हें एहसास ही नहीं हुआ कि ऐसा नहीं है...." जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा, "कई लोग कहते हैं कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी चीज थी... आपको यह महसूस करना चाहिए कि ऐसा इसलिए था, क्योंकि जनमत संग्रह में यह तय करना था कि हमें किसके साथ जाना है."

उन्होंने कहा, "आपको यह समझना होगा कि एक मुस्लिम बहुल राज्य ने हिंदू बहुसंख्यक भारत में रहने का फैसला किया है. हम पाकिस्तान जा सकते थे, जो चीज हमें यहां लेकर आई वह गांधी और उनका कथन था कि यह देश सभी के लिए है." अब्दुल्ला ने दावा किया कि देश में सांप्रदायिक विभाजन बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "कश्मीर ने कभी आजादी नहीं मांगी, हम इस देश का हिस्सा हैं."

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए येचुरी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो हो रहा है वह न केवल मानवीय मुद्दा है, बल्कि आजादी के बाद बने भारत का विनाश है. पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "आज समानता पर हमला किया जा रहा है. आप देख सकते हैं कि मणिपुर में क्या हो रहा है."

जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने के सरकार के दावों का जिक्र करते हुए येचुरी ने सवाल किया कि वहां अब भी चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में तुरंत चुनाव होने चाहिए. जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक एम.वाई. तारिगामी ने कहा कि केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 को निरस्त करने के बाद पंचायत चुनाव कराने का श्रेय लिया, लेकिन परिसीमन प्रक्रिया समाप्त होने के बावजूद विधानसभा चुनाव नहीं करा रही है.

जम्मू-कश्मीर में चुनाव की मांग को अपना समर्थन देते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि यह शर्मनाक है कि वहां नौ साल से चुनाव नहीं हुए हैं. सुप्रिया सुले और कनिमोझी ने हरियाणा में सांप्रदायिक हिंसा और मणिपुर के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि स्थिति चिंताजनक है. आरजेडी सांसद मनोज झा ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का जिक्र किया और इसे एक ऐसी पार्टी करार दिया जो पुल बनाने के लिए नहीं, बल्कि उसे जलाने के लिए जानी जाती है.

नेताओं ने पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित प्रशासन नहीं होने और वहां मानवाधिकार की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की. मंच में पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई और जम्मू-कश्मीर के पूर्व वार्ताकारों में से एक राधा कुमार के अलावा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, रिटायर्ड नौकरशाह शामिल थे.

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