सत्यपाल मलिक ने कहा कि मैं आश्वस्त था कि दोनों में से किसी के पास बहुमत नहीं था.
ग्वालियर:
जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग करने और उसके बाद शुरू हुए सियासी उठापटक पर अब राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने खुद विस्तार से अपनी बात रखी है. ग्वालियर की ITM यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि महबूबा मुफ्ती ने मुझसे एक हफ्ते पहले कहा, 'सत्यपाल भाई मेरे एमएलए तोड़े जा रहे हैं. उन्हें धमकाया जा रहा है, उन्हें एनआईए में बंद कराने की धमकी दी जा रही है, तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी बात से दिल्ली को अवगत करा दूंगा, लेकिन अच्छा होगा कि आप फलां-फलां लोगों को और बता दें. तो गवाही के तौर पर मैं बता सकता हूं कि तीन और लोगों को उन्होंने यह बताया'. सत्यपाल मलिक ने कहा कि यहां एक दूसर पक्ष भी था. सज्जाद लोन और भाजपा का गठबंधन. सज्जाद लोन भी कह रहे थे कि हमारे पास भी नंबर है. हमारे भी एमएलए को धमकाया जा रहा है. जिस प्रदेश में म्यूनिसिपैलिटी के चुनाव में जाने पर जान से मारने की धमकी दी जाती हो, पंचायत के चुनाव में वोट डालने वाले को जान से मारने की धमकी दी जाती हो, वहां क्या असेंबली में वोट देने के लिए आतंकी धमकी नहीं देंगे या कार्रवाई नहीं करेंगे.
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सत्यपाल मलिक ने कहा कि दोनों में से किसी के पास कोई लिस्ट नहीं थी. न तो महबूबा जी के पास कोई लिस्ट थी, जो उन्होंने पेश की हो और न ही सज्जाद लोन के पास कोई लिस्ट थी. सज्जाद लोन कह रहे थे कि मैंने आपको संपर्क किया. जब मैंने पूछा कहां संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि मैंने आपके पीए को वाट्सएप किया. मलिक ने चुटकी लेते हुए कहा, 'मुझे यह पता नहीं था कि वाट्सएप और ट्वीट से भी सरकारें बनती हैं'. उन्होंने कहा, सरकार बनाने के दावे वाट्सएप पर नहीं किये जाते. मैंने जब उस वाट्सएप मैसेज के बारे में पता किया तो पता चला कि जो पहले गवर्नर थे, उनका जो पीए था उसके पास मैसेज किया था. मैं 15 दिनों से यह सब देख रहा था और आश्वस्त था कि किसी के पास भी बहुमत नहीं है. एक को भी बुला लिया जाएगा तो खुला खेल होगा. इतनी अनैतिकता होगी, जिसका अंदाजा नहीं है. अगर हार्स ट्रेडिंग शुरू होती तो मुझे अंदाजा था कि इसमें पैसा तो आएगा ही, साथ ही आतंकी भी आएंगे. 8 जगह चुनाव बाकी थे. घाटी अपनी रौ में लौट रही थी.
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मलिक ने कहा कि इस उठापटक के बीच मैं दिल्ली में था. जब वापस पहुंचा तो इंटेलिजेंस के लोगों ने स्थिति से अवगत कराया. इसके बाद मैंने दिल्ली में किसी से इस बात पर चर्चा करना इसलिये उचित नहीं समझा, क्योंकि 2 दिन पहले ही उनसे मिला था. अगर उनसे पूछता तो शायद वे कह देते कि सज्जाद लोन को शपथ दिलवा दो. लोन कह भी रहे थे कि मुझे 6 दिन मिल जाए तो बहुमत साबित कर दूंगा. यह मेरा काम है क्या कि मैं शपथ दिला दूं और आप एमएल को तोड़ें. अगर मैं मौका देता तो बेईमान कहलाता. यही हालत इनकी भी थी. मैंने दिल्ली से बिना पूछे और बिना आदेश लिये दोनों से कश्मीर की जनता का पिंड छुड़ा दिया. कश्मीर के लोगों में खुशी है. वे कह रहे हैं कि कम से कम 6 महीने की छुट्टी मिल गई. जब चुनाव होगा तब देखेंगे. सत्यपाल मलिक ने कहा कि कश्मीर की समस्या को पैदा करने में दिल्ली का भी बड़ा रोल है. दिल्ली ने कश्मीर के लोगों के साथ बेईमानी की. उन्होंने कहा कि कश्मीर का संकट कई लोगों के लिए दुकानदारी है. हुर्रियत के लोगों को देखिये. इनके बच्चे विदेश में पढ़ते हैं. उनके पास दौलत है. यही नेताओं का हाल है.
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सत्यपाल मलिक ने कहा कि दोनों में से किसी के पास कोई लिस्ट नहीं थी. न तो महबूबा जी के पास कोई लिस्ट थी, जो उन्होंने पेश की हो और न ही सज्जाद लोन के पास कोई लिस्ट थी. सज्जाद लोन कह रहे थे कि मैंने आपको संपर्क किया. जब मैंने पूछा कहां संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि मैंने आपके पीए को वाट्सएप किया. मलिक ने चुटकी लेते हुए कहा, 'मुझे यह पता नहीं था कि वाट्सएप और ट्वीट से भी सरकारें बनती हैं'. उन्होंने कहा, सरकार बनाने के दावे वाट्सएप पर नहीं किये जाते. मैंने जब उस वाट्सएप मैसेज के बारे में पता किया तो पता चला कि जो पहले गवर्नर थे, उनका जो पीए था उसके पास मैसेज किया था. मैं 15 दिनों से यह सब देख रहा था और आश्वस्त था कि किसी के पास भी बहुमत नहीं है. एक को भी बुला लिया जाएगा तो खुला खेल होगा. इतनी अनैतिकता होगी, जिसका अंदाजा नहीं है. अगर हार्स ट्रेडिंग शुरू होती तो मुझे अंदाजा था कि इसमें पैसा तो आएगा ही, साथ ही आतंकी भी आएंगे. 8 जगह चुनाव बाकी थे. घाटी अपनी रौ में लौट रही थी.
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मलिक ने कहा कि इस उठापटक के बीच मैं दिल्ली में था. जब वापस पहुंचा तो इंटेलिजेंस के लोगों ने स्थिति से अवगत कराया. इसके बाद मैंने दिल्ली में किसी से इस बात पर चर्चा करना इसलिये उचित नहीं समझा, क्योंकि 2 दिन पहले ही उनसे मिला था. अगर उनसे पूछता तो शायद वे कह देते कि सज्जाद लोन को शपथ दिलवा दो. लोन कह भी रहे थे कि मुझे 6 दिन मिल जाए तो बहुमत साबित कर दूंगा. यह मेरा काम है क्या कि मैं शपथ दिला दूं और आप एमएल को तोड़ें. अगर मैं मौका देता तो बेईमान कहलाता. यही हालत इनकी भी थी. मैंने दिल्ली से बिना पूछे और बिना आदेश लिये दोनों से कश्मीर की जनता का पिंड छुड़ा दिया. कश्मीर के लोगों में खुशी है. वे कह रहे हैं कि कम से कम 6 महीने की छुट्टी मिल गई. जब चुनाव होगा तब देखेंगे. सत्यपाल मलिक ने कहा कि कश्मीर की समस्या को पैदा करने में दिल्ली का भी बड़ा रोल है. दिल्ली ने कश्मीर के लोगों के साथ बेईमानी की. उन्होंने कहा कि कश्मीर का संकट कई लोगों के लिए दुकानदारी है. हुर्रियत के लोगों को देखिये. इनके बच्चे विदेश में पढ़ते हैं. उनके पास दौलत है. यही नेताओं का हाल है.
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