
- IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या मामले की जांच के लिए चंडीगढ़ पुलिस ने 6 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है.
- SIT का नेतृत्व चंडीगढ़ के पुलिस महानिरीक्षक पुष्पेंद्र कुमार करेंगे और इसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हैं.
- SIT जांच में साक्ष्य संग्रह, गवाहों की जांच, विशेषज्ञों की राय लेना और कानूनी सलाह शामिल होगी.
हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वाई पूरन कुमार की ‘आत्महत्या' के मामले की समयबद्ध तरीके से ‘त्वरित, निष्पक्ष और गहन जांच' के लिए चंडीगढ़ पुलिस ने शुक्रवार को छह सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. एसआईटी का नेतृत्व चंडीगढ़ के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पुष्पेंद्र कुमार करेंगे. एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक, इस एसआईटी में चंडीगढ़ की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कंवरदीप कौर, पुलिस अधीक्षक (नगर) के एम प्रियंका, डीएसपी चरणजीत सिंह विर्क और अन्य अधिकारी गुरजीत कौर और जयवीर राणा सदस्य होंगे.
एसआईटी में ये पुलिस अधिकारी
1. पुष्पेंद्र कुमार, आईजी, (एसआईटी प्रमुख)
2. कंवरदीप कौर, एसएसपी, (सदस्य)
3. केएम प्रियंका, एसपी/सिटी, (सदस्य)
4. चरणजीत सिंह विर्क, डीएसपी/ट्रैफिक, (सदस्य)
5. गुरजीत कौर, एसडीपीओ/दक्षिण, (सदस्य)
6. जयवीर सिंह राणा, एसएचओ/पीएस-11 (पश्चिम), (सदस्य)
सभी पहलुओं की जांच करेगी एसआईटी
इसमें कहा गया, ‘‘मामले में आरोपों की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए... केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के आईजी की देखरेख में मामले की त्वरित, निष्पक्ष और गहन जांच करने के लिए निम्नलिखित सदस्यों वाली एक एसआईटी तत्काल प्रभाव से गठित की जाती है.''
आदेश में कहा गया, ‘‘एसआईटी प्राथमिकी संख्या 156/2025 के सभी पहलुओं की समयबद्ध तरीके से जांच करेगी, जिसमें साक्ष्य संग्रह, गवाहों की जांच, विशेषज्ञों की राय लेना, कानूनी सलाह आदि शामिल है. जांच पूरी होने पर अंतिम रिपोर्ट तैयार करेगी.''
केंद्रीय मंत्री ने सीएम सैनी को लिखा पत्र
उधर, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस मामले को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में चिराग पासवान ने आत्महत्या मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

बता दें कि 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार (52) अपने सेक्टर 11 स्थित आवास के एक कमरे में मृत मिले थे. उनके शरीर पर गोली लगी थी. सूत्रों के अनुसार, पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में कुछ ‘वरिष्ठ अधिकारियों' का नाम लिया था और पिछले कुछ वर्षों में उन्हें झेलनी पड़ी ‘मानसिक प्रताड़ना' और अपमान का विवरण दिया था.
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