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This Article is From Aug 29, 2019

INX मीडिया मामला: पी चिदंबरम की याचिका पर SG ने कोर्ट से कहा, एजेंसी के पास जो तथ्य हैं वह पर्याप्त हैं

पी चिदंबरम की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता अपना पक्ष रखा.

INX मीडिया मामला: पी चिदंबरम की याचिका पर SG ने कोर्ट से कहा, एजेंसी के पास जो तथ्य हैं वह पर्याप्त हैं
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम (फाइल तस्वीर)
नई दिल्ली:

पी चिदंबरम की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता अपना पक्ष रखा. तुषार ने कोर्ट कहा कि एजेंसी के पास सामग्री थी, आरोपों के खिलाफ और चिदंबरम से पूछताछ भी हुई. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी दाखिल की. तुषार मेहता ने कहा जो तथ्य एजेंसी के पास हैं वह पर्याप्त हैं. उन्होंने बीते वर्षों में हुए PMLA के तहत घोटाले और देश से भागने वालों विजय माल्या, मेहुल चौकसी और ज़ाकिर नायक के नाम गिनाए.

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तुषार मेहता ने आगे कहा कि पीएमएलए या अन्य में कोई ऐसा प्रावधान नहीं. आरोपों के संबंध में जुटायी सामग्री अदालत को देने के साथ आरोपी पक्ष को भी मुहैया कराए जाएं. ईडी की तरफ से मेहता ने यह भी कहा कि चिदम्बरम कानून से बचकर फरार भी हो गए थे. वो जांच से बच रहे थे, लेकिन अब वो ही चिदंबरम कोर्ट से राहत चाहते हैं. तुषार ने कहा कि ईडी को चिदम्बरम से पूछताछ करनी है. सबूतों की तस्दीक करानी है और गवाहों से आमना सामना कराना है. ये कोई टीवी इंटरव्यू या सवाल जवाब का सत्र नहीं होता है. ये घोटाले और साजिश की पड़ताल है. कानून इसकी इजाज़त नहीं देता कि जांच के इस दौर में चिदम्बरम के साथ दस्तावेज़ या जानकारियां साझा की जाएं.

तुषार ने कहा कि विदेशों में जमा 15 भुगतान का मनी ट्रेल एजेंसी के पास है. ये जानकारी अगर वह आरोपी से साझा कर ले और आरोपी के अगर 30 ट्रेल हों तो वह पैसा ठिकाने लगाने और साक्ष्य मिटाने में जुट जाएगा. सच्चाई तभी सामने आ सकती है जब आरोपी का तथ्यों से आमना सामना कराया जाए. 

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तुषार ने कहा कि साक्ष्यों को आरोपी पक्ष के साथ किस हद तक साझा किया जाए यह पूर्ण अधिकार एजेंसी के पास होता है. अग्रिम जमानत कि मांग के दौरान साक्ष्यों से जुड़े दस्तावेज आरोपी पक्ष को मुहैया कराना केस को बिगाड़ सकता है. हमने आरोपी को विशेष अदालत के सामने पेश किया, अगर हमने आरोपी के साथ बुरा व्यवहार किया होता तो वो अदालत में अपनी बात रख सकता था. अगर चिदंबरम कि दलील स्वीकार कि जाती है तो अन्य मामले प्रभावित होंगे.

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