सीबीआई ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ को बताया है कि हाथरस मामले में उसने स्थानीय पुलिस की भूमिका की जांच कर सभी संकलित साक्ष्य मुख्यालय के पास भेज दिए हैं. सीबीआई ने यह जानकारी न्यायालय के उस सवाल के जवाब में दी, जिसमें पूछा गया था कि क्या इस मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका जैसे पहलुओं पर अब भी विवेचना जारी है.
सीबीआई के जवाब के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए मंगलवार की तारीख तय की है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर ‘गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार' शीर्षक से दर्ज जनहित याचिका पर पारित किया था.
सीबीआई के अधिवक्ता अनुराग कुमार सिंह ने न्यायालय को बताया कि अन्य पहलुओं पर हुई जांच के संबंध में 10-15 दिनों में निर्णय ले लिया जाएगा. अदालत ने सीबीआई के अधिवक्ता को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उक्त रिपोर्ट उचित समय पर सीलबंद लिफाफे में दाखिल की जाए.
पिछली सुनवाई के दौरान जनपद न्यायाधीश, हाथरस की रिपोर्ट पर गौर करते हुए अदालत ने कहा था कि मामले में 104 गवाहों में से 28 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि मामले के संबंध में शुरूआत में जिस एसआईटी का गठन किया गया था, उसकी रिपोर्ट भी अगली सुनवाई पर पेश की जाए. उक्त आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से सोमवार को एक पूरक हलफनामा भी दाखिल किया गया.
हाथरस की 19 वर्षीय पीड़िता की 14 सितंबर को उसके गांव के चार लोगों द्वारा कथित दुष्कर्म के एक पखवाड़े बाद दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. पीड़िता का आधी रात को उसके गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया था. पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि आधी रात के बाद किया गया अंतिम संस्कार उनकी सहमति के बिना हुआ था और उन्हें अंतिम बार शव घर लाने की अनुमति तक नहीं दी गई थी.
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