जातिगत गणना पर कांग्रेस के अंदर ही दरार पड़ गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने पर्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर कांग्रेस और इसके पूर्व प्रधानमंत्रियों के खिलाफ बन रही गलत धारण को लेकर चेताया है. आनंद शर्मा ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जाति पर लिए गए स्टैण्ड को याद दिलाया है. आनंद शर्मा ने दावा किया है कि कांग्रेस ने कभी भी जाति की राजनीति का समर्थन नहीं किया है.
"ना जात पर न पात पर..."
मल्लिकार्जुन खरगे को लिखे पत्र में आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की जातिगत गणना की मांग का गलत अर्थ निकाला जा सकता है और पार्टी के पूर्व नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी व राजीव गांधी का अनादर करने के रूप में समझा जा सकता है. आईएएनएस ने आनंद शर्मा के इस पत्र को साझा किया है. आनंद शर्मा ने जाति पर कांग्रेस के ऐतिहासिक रुख को इंगित करने के लिए इंदिरा गांधी के 1980 के आह्वान, "ना जात पर न पात पर, मोहर लगेगी हाथ पर" को याद किया. उन्होंने यह भी बताया कि 1990 में राजीव गांधी ने "जातिवाद" को चुनावी फैक्टर बनाने का विरोध किया था.
आजीवन कांग्रेस सदस्य रहे आनंद शर्मा ने कहा कि पार्टी के कुछ गठबंधन सदस्यों ने लंबे समय से जाति-आधारित राजनीति की है. मगर सामाजिक न्याय पर कांग्रेस की नीति भारतीय समाज की जटिलताओं की परिपक्व और सूचित समझ पर आधारित है. उन्होंने कहा, "हालांकि जाति भारतीय समाज की एक वास्तविकता है, लेकिन कांग्रेस कभी भी पहचान की राजनीति में शामिल नहीं हुई है और न ही इसका समर्थन किया है. यह क्षेत्र, धर्म, जाति और जातीयता की समृद्ध विविधता वाले समाज में लोकतंत्र के लिए हानिकारक है." पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस एक समावेशी दृष्टिकोण में विश्वास करती है, जो गरीबों और वंचितों के लिए समानता और सामाजिक न्याय के लिए नीतियां बनाने में भेदभाव रहित है.
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