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स्पेस स्टेशन की ऐतिहासिक जगह से सामने आई अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्‍ला की दिल जीतने वाली तस्वीर

चेहरे पर मुस्‍कुराहट, स्‍वस्‍थ और खुश नजर आ रहे भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्‍टन शुभांशु शुक्‍ला की अंतरराष्‍ट्रीय स्‍पेस स्‍टेशन (आईएसएस) से आई नई तस्‍वीर दिल जीतने वाली है.

स्पेस स्टेशन की ऐतिहासिक जगह से सामने आई अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्‍ला की दिल जीतने वाली तस्वीर
  • ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की नई तस्वीर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से आई है.
  • शुभांशु ने 26 जून को 14 दिनों के मिशन पर आईएसएस में कदम रखा था.
  • क्रू ने आईएसएस पर वैज्ञानिक रिसर्च और तकनीकी प्रदर्शन में योगदान दिया है.
  • शुभांशु ने कहा कि अंतरिक्ष से कोई सीमा नहीं दिखती, पृथ्वी एकजुट नजर आती है.
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नई दिल्‍ली:

चेहरे पर मुस्‍कुराहट, स्‍वस्‍थ और खुश नजर आ रहे भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्‍टन शुभांशु शुक्‍ला की अंतरराष्‍ट्रीय स्‍पेस स्‍टेशन (आईएसएस) से आई नई तस्‍वीर दिल जीतने वाली है. इस तस्‍वीर में शुभांशु को आईएसएस के उसी मशहूर गुंबद से बाहर देखते हुए नजर आ रहे हैं, जहां से अभी तक दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों की तस्‍वीरें आती रही हैं. ग्रुप कैप्‍टन शुक्‍ला 26 जून को 14 दिनों के मिशन पर ISS पहुंचे हैं और अब अपने तय वैज्ञानिक कामों को पूरा करने में लग गए हैं. वह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कह चुके हैं कि उन्हें अंतरिक्ष से कोई सीमा नहीं दिखती. 

लगातार हो हैं एक्‍सपेरीमेंट्स 

एक्सिओम स्पेस का कहना है कि क्रू- कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला, और मिशन एक्‍सपर्ट स्लावोज 'सुवे' उज्‍नान्स्की-विस्नीव्स्की और टिबोर कपू, ने अब आईएसएस पर नौ दिन पूरे कर लिए हैं. यहां पहुंचने के बाद से ही क्रू साइंटिफिक रिसर्च, टेक्‍नोलॉजी डेमॉनस्‍ट्रेशन और ग्‍लोबल आउटरीच के अपने बिजी प्रोग्राम के लिए पूरी तरह से समर्पित है. हर दिन, मिशन को उसके मकसद की तरफ लेकर जाता है और इसे पूरा करने दिशा में स्थिर प्रगति को बताता है.

क्रू उन एक्‍सपेरीमेंट्स में योगदान दे रहा है जो भविष्‍य में अंतरक्षि को और खंगाले जाने या इसके अन्‍वेष्‍ण को आकार दे सकते हैं. इससे धरती को भी काफी हद तक फायदा हो सकता है. 

जब प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु से पूछा कि अंतरिक्ष को देखकर उन्हें सबसे पहले क्या महसूस हुआ, तो ग्रुप कैप्‍टन शुक्ला ने कहा, 'अंतरिक्ष से, आपको कोई सीमा नहीं दिखती. पूरी पृथ्वी एकजुट दिखती है.' शुभांशु ने भारत की विशालता पर जोर दिया जो किसी भी मानचित्र की तुलना में कक्षा से कहीं ज्‍यादा बड़ा नजर आता है. साथ ही उन्‍होंने अंतरिक्ष में उभरने वाली एकता और मानवता पर भी बात की. 

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इसरो ने क्‍यों नहीं जारी की शुभांशु की फोटो 

वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ग्रुप कैप्‍टन शुक्ला की अंतरिक्ष में गुंबद से बाहर देखते हुए और वह अंतरिक्ष से भारत को किस तरह से देखते हैं, इसकी कोई तस्वीर जारी नहीं की गई है. 3 और 4 जुलाई को ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ में अपने ही स्कूल सिटी मोंटेसरी स्कूल में स्कूली बच्चों के साथ आउटरीच कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था. इस दौरान 500 से ज्‍यादा छात्रों ने ग्रुप कैप्टन शुक्ला से सीधी बातचीत की थी. लेकिन आज तक इसरो के ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (HSFC) ने इस अंतरिक्ष से धरती तक के पुल पर उनके द्वारा की गई दिल को छू लेने वाली बातचीत का कोई वीडियो जारी नहीं किया है. 

इसरो की तरफ से काफी देर बाद एक रिलीज जारी की गई. इसमें कहा गया है , 'छात्रों के बीच संपर्क बढ़ाने वाली गतिविधियों के माध्यम से अंतरिक्ष गतिविधियों, प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग में युवा मन की जिज्ञासा को जगाना इसका उद्देश्य है.' इस सिलसिले में इसरो ने आईएसएस के लिए गगनयात्री के पहले मिशन के दौरान भारतीय छात्र समुदाय के साथ संपर्क बढ़ाने वाली गतिविधियों की योजना बनाई है. 

शुभांशु ने किए कौन-कौन से प्रयोग 

एक्सिओम स्पेस ने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने मायोजेनेसिस जांच को डॉक्‍यूमेंट किया है. इससे पता लगाता है कि जब गुरुत्वाकर्षण नहीं होता है तो मांसपेशियों के शोष या आसान भाषा में कहें कि मांसपेशियों की ताकत को कैसे बढ़ाती है. यह रिसर्च कंकाल की मांसपेशियों के कमजोर होने के पीछे सेलुलर और मॉलिक्‍यूलर सिस्‍टम की जांच करता है. इसका मकसद मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रतिवाद विकसित करना है. 

अपने एक और टास्‍क में ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने स्पेस माइक्रो एल्गी प्रयोग के लिए सैंपल इकट्ठा किए हैं. ये सूक्ष्म जीव संभावित रूप से भविष्य के मिशनों में भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन के स्रोत के रूप में काम कर सकते हैं और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण में स्थायी जीवन समर्थन प्रणाली प्रदान कर सकते हैं. 

ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने 'स्प्राउट्स प्रोजेक्ट' के हिस्से के रूप में फसल के बीजों की सिंचाई की है. यह एक ऐसा प्रयोग है जो यह पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि अंतरिक्ष उड़ान बीज के अंकुरण और पौधों की वृद्धि को कैसे प्रभावित करती है. मिशन के बाद, बीजों को पृथ्वी पर कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा.  रिसर्चर्स उनके जेनेटिक मेकअप, माइक्रोबियल कम्‍युनिटीज और पोषण सामग्री में परिवर्तनों का विश्लेषण करेंगे. 'स्प्राउट्स प्रोजेक्ट' का लक्ष्य भविष्य के दीर्घकालिक मिशनों के लिए अंतरिक्ष में स्थायी फसल उत्पादन की मानवता की समझ को आगे बढ़ाना है.

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