
- भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 18 दिन बिताकर धरती पर सुरक्षित लौटे हैं, इसके साथ ही उन्होंने नया इतिहास रच दिया.
- शुभांशु शुक्ला जहां अंतरिक्ष से लौटने के बाद क्वारंटाइन में हैं. वहीं उनकी पत्नी कामना और उनका छह साल का बेटा भी अमेरिका के ह्यूस्टन में है.
- शुभांशु शुक्ला 23 जुलाई तक क्वारंटाइन में रहेंगे, लेकिन परिवार के करीबी लोगों से कुछ समय के लिए मुलाकात करने की उन्हें अनुमति है.
अंतरिक्ष की दुनिया से इतिहास रचकर धरती पर लौटे भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की पत्नी कामना अपने पति के साथ समय बिताने के लिए उत्साहित हैं और उनके साथ घर के बने खाने का लुत्फ उठाने एवं उनसे इस दुनिया से परे के जगत की कहानियां सुनने को आतुर हैं. मित्रों और सहकर्मियों के बीच 'शुक्स' के नाम से जाने जाने वाले शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिन बिताने के बाद मंगलवार को धरती पर लौटे. वह आईएसएस पर पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं.
शुभांशु की पत्नी क्या बोली
शुभांशु इस वक्त ह्यूस्टन में क्वारंटाइन में हैं. उनकी पत्नी कामना अपने छह साल के बेटे कियाश के साथ पहले से ही ह्यूस्टन में मौजूद हैं. कामना ने ह्यूस्टन से 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘जैसा कि शुभांशु सुरक्षित लौट आये हैं, हमारा पूरा ध्यान उनके पुनर्वास और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं कि वह धरती के माहौल में फिर से आसानी से ढल सकें. हमारे लिए शुभांशु की अविश्वसनीय अंतरिक्ष यात्रा के बाद उनसे फिर से मिलना अपने आप में एक उत्सव की तरह है.''
अंतरिक्ष में याद आया होगा घर का खाना
25 जून को फ्लोरिडा से स्पेसएक्स के लिए शुभांशु की रवानगी की तैयारी के बाद से कामना अमेरिका में हैं और वह इसकी भरसक कोशिश कर रही हैं कि उनके पति को घर का बना खाना जरूर मिले. कामना ने कहा, ''मैं पहले से ही उनके कुछ पसंदीदा व्यंजन बना रही हूं. मुझे पता है कि अंतरिक्ष में शुभांशु को घर पर बने खाने की कमी कितनी खली होगी.'' शुभांशु 23 जुलाई तक क्वारंटाइन में रहेंगे, लेकिन परिवार के करीबी लोगों से कुछ समय के लिए मुलाकात करने की उन्हें अनुमति है.
शुभांशु ने पोस्ट की फैमिली से मुलाकात की फोटो
शुभांशु ने अपनी पत्नी और बेटे के साथ अपनी मुलाकात की तस्वीरें बुधवार शाम को ‘इंस्टाग्राम' पर साझा कीं. उन्होंने कहा, ‘‘यह चुनौतीपूर्ण था. पृथ्वी पर वापस आना और अपने परिवार को अपनी बाहों लेना घर जैसा एहसास था. मानव अंतरिक्ष यान मिशन जादुई होते हैं, लेकिन इन्हें इंसानों ने ही जादुई बनाया है. अंतरिक्ष की उड़ान अद्भुत होती है, लेकिन लंबे समय के बाद अपने प्रियजनों को देखना भी उतना ही अद्भुत होता है."
अपने पिता को नहीं छू सका बच्चा
शुभांशु ने लिखा, ‘‘मुझे क्वारंटाइन में रहते दो महीने हो गए हैं. इस दौरान परिवार से मिलते समय हमें आठ मीटर की दूरी पर रहना पड़ता था. मेरे छोटे बच्चे को बताया गया कि उसके हाथों में कीटाणु हैं इसलिए वह अपने पिता को नहीं छू सकता. हर बार जब वह मिलने आता तो अपनी मां से पूछता, ‘क्या मैं अपने हाथ धो सकता हूं?' यह बहुत मुश्किल था.''
उन्होंने लोगों को सलाह देते हुए कहा, ‘‘अपने प्रियजन को बताएं कि आप उनसे प्यार करते हैं. हम अक्सर ज़िंदगी में व्यस्त हो जाते हैं और भूल जाते हैं कि हमारे जीवन में लोग कितने महत्वपूर्ण हैं.'' शुभांशु और कामना की शादी साल 2009 में हुई थी. वे एक-दूसरे को कक्षा तीन से जानते हैं. उस वक्त वे दोनों लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़ते थे. कामना ने कहा कि शुभांशु द्वारा अंतरिक्ष में बिताए 18 दिन के दौरान उनके लिए उनसे फोन पर बात करना सबसे अहम रहा.
जब अंतरिक्ष से घरवालों को किया फोन
उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष में पहुंचने के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से शुभांशु का फोन आना एक अप्रत्याशित और अद्भुत आश्चर्य था. उनकी आवाज सुनना और यह जानना कि वह सुरक्षित हैं, मेरे लिए बहुत मायने रखता था. हमारी बातचीत आमतौर पर उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों, उनके द्वारा किए गए अनोखे प्रयोगों और उन्हें वहां हो रहे उन असाधारण तजुर्बों के इर्द-गिर्द घूमती थी जो पृथ्वी पर जीवन से बिल्कुल अलग थे. ये फोन कॉल 18 दिन तक मेरे लिये सबसे अधिक अहम थे.''
शहर में लगे शुभांशु के पोस्टर
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने वाले शुभांशु अब एक सेलिब्रिटी बन गए हैं और उनके लखनऊ के त्रिवेणी नगर स्थित आवास और उसके आसपास उन्हें और उनके परिजन को बधाई देने के लिये पोस्टर लगे हुए हैं. कामना ने कहा, ''जहां पूरा देश शुभांशु की असाधारण उपलब्धि का जश्न मना रहा है, वहीं हमारा परिवार साथ बिताए शांत और निजी पलों को संजोए रखेगा. खुशी के ये पल और जानी-पहचानी कहानियां साझा करना, हंसी-मजाक करना और छोटी—छोटी खुशियों का मजा लेना ही जश्न मनाने का हमारा तरीका है.''
उन्होंने कहा, ''उनकी घर वापसी व्यक्तिगत खुशी एवं राष्ट्रीय गौरव का एक खूबसूरत मिश्रण है और हम देश भर से मिले समर्थन और गर्मजोशी के लिए बेहद शुक्रगुजार हैं.'' कामना ने स्वीकार किया कि अंतरिक्ष यात्राओं में लंबे समय तक अलग रहना तकलीफदेह होता है. हालांकि कामना ने यह भी कहा कि उन्होंने इसके साथ तालमेल बैठा लिया है और इस तरह की दूरी कई मायनों में उनके रिश्ते को और मजबूत किया है.
शुभांशु के मिशन पर पत्नी ने कही ये बात
कामना ने कहा, ''अलग होना बेशक बहुत मुश्किल होता है और हर पल इसकी तकलीफ महसूस होती है. हालांकि वायु सेना के साथ हमारे सफर ने हमें ऐसे हालात से गुजरना सिखाया है. दूरी के इन पलों ने कई मायनों में हमारे रिश्ते को और मजबूत किया है. हमें धैर्य, समझ और एक-दूसरे के सपनों को अटूट समर्थन देना सिखाया है. आखिरकार, हमें यह मानना ही पड़ता है कि कोई भी कीमती चीज आसानी से नहीं मिलती.''
कामना ने शुक्स के एक 'शर्मीले युवक' से ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला अंतरिक्ष यात्री बनने तक के सफर पर भी बात की. उन्होंने कहा, ''शुभांशु को अंतरिक्ष से छात्रों के साथ इतने आत्मविश्वास और खुशी से बातचीत करते देखकर मुझे बहुत गर्व और खुशी हुई. एक शर्मीले युवक से लेकर अनगिनत युवाओं को प्रेरित करने वाले एक करिश्माई व्यक्ति बनने तक के उनके सफर को देखना वाकई भावुक कर देने वाला है.''
लखनऊ के रहने वाले शुभांशु सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के छात्र रह चुके हैं. वह अब इस स्कूल के नये ‘पोस्टर ब्वॉय' हैं. वह उन बच्चों के लिए प्रेरणा हैं जो अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना देख रहे हैं. कामना ने कहा कि यह उनके लिए सबसे अधिक खुशी की बात है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं