- भारत के पहले ड्रोन-रोधी गश्ती वाहन इंद्रजाल रेंजर का हैदराबाद में अनावरण किया गया है
- यह वाहन पूरी तरह मोबाइल और एआई तकनीक से लैस एंटी ड्रोन सिस्टम है जो गतिशील सुरक्षा प्रदान करता है
- इंद्रजाल रेंजर सीमाओं, शहरों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ड्रोन का पता लगाने और निष्क्रिय करने में सक्षम है
भारत के पहले ड्रोन-रोधी गश्ती वाहन का बुधवार को हैदराबाद में अनावरण किया गया. यह ऐसे समय में हुआ है जब आईएसआई से जुड़ी सीमा पार से हथियारों और नशीले पदार्थों की ड्रोन तस्करी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बन गई है. एनडीटीवी ने इसको लेकर लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडे से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि जमीन और जान बचाने के लिए यह तकनीक भारत के लिए क्यों जरूरी है.
लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडे ने कहा कि इंद्रजाल रेंजर भारत का पहला ड्रोन-रोधी गश्ती वाहन है. ये पूरी तरह से मोबाइल, एआई से लैस एंटी ड्रोन सिस्टम है. ट्रेडिशनल सिस्टम सिर्फ खास सुरक्षा स्थानों तक ही सीमित होती हैं और तभी काम करती है, जब वो पार्किंग में हो. वहीं ADPV गति में भी खतरों का डटकर मुकाबला करता है.

उन्होंने बताया कि ये ड्रोन-रोधी गश्ती वाहन सीमाओं, शहरों और महत्वपूर्ण गलियारों में ड्रोन का पता लगाने, उन पर नज़र रखने और उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम है.
इन दिनों सीमा पार हथियार और ड्रग्स भेजने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. हाल ही में, ISI से जुड़े सीमा-पार ड्रोन ने हथियारों की तस्करी की गई थी. 2025 में BSF ने 255 पाकिस्तानी ड्रोनों को निष्क्रिय किया है.
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने बताया कि भारत के ₹3 लाख करोड़ के मादक पदार्थों की तस्करी में ड्रोन का भी बड़ा हाथ है. इसके जरिए भी बड़ी मात्रा में तस्करी होती है. ऐसे में इंद्रजाल रेंजर, चलते-फिरते ड्रोन से पता लगाता है. रियल टाइम पर गश्त और निगरानी करता है. एआई के जरिए खुद ही खतरे का आकलन करता है.
हवाई अड्डों, सीमाओं, रिफाइनरियों, शहरों और सैन्य फॉर्मेशन की सुरक्षा के लिए इंद्रजाल रेंजर एक डायनेमिक 'सिक्योरिटी डॉम्स' बनाता है.
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