भारतीय रेलवे की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
रेलवे का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.5 प्रतिशत रहने की संभावना है. वर्ष 2000-01 के 98.3 प्रतिशत के बाद रेलवे का यह सबसे खराब प्रदर्शन है. एक अधिकारी के अनुसार यह आंकड़ा सातवें वेतन आयोग के पुनरीक्षण के कारण रेलवे पर भत्तों और पेंशन के बढ़े बोझ को दिखाता है. वित्त वर्ष 2018 के लिए परिचालन अनुपात करीब 98.5 प्रतिशत रहने का अर्थ है कि यह फरवरी में पेश बजट के संशेाधित अनुपात 96 प्रतिशत से करीब ढाई फीसदी कम है. परिचालन अनुपात से पता लगता है कि रेलवे एक रुपये की कमाई के लिए कितने रुपये खर्च करता है.
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अधिकारी का कहना है कि संपत्तियों के मुद्रीकरण से अनुमान के मुतबिक राजस्व नहीं मिला और बजट का एकीकरण होने के बाद पीएसयू का लाभांश सीधे वित्त मंत्रालय को जा रहा है. इससे भी रेलवे को दिक्कत हो रही है. वित्त वर्ष 2017-18 में रेलवे का वेतन बोझ 10,000 करोड़ रुपये जबकि पेंशन का बोझ 10,795 करोड़ रुपये बढ़ा. रेलवे पर यात्रियों को मिलने वाली 33,000 करोड़ रुपये की सबसिडी का भी बोझ है. पिछले छह वर्षों से रेलवे का परिचालन अनुपात 90 प्रतिशत से ऊपर ही रह रहा है. (इनपुट भाषा से)
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अधिकारी का कहना है कि संपत्तियों के मुद्रीकरण से अनुमान के मुतबिक राजस्व नहीं मिला और बजट का एकीकरण होने के बाद पीएसयू का लाभांश सीधे वित्त मंत्रालय को जा रहा है. इससे भी रेलवे को दिक्कत हो रही है. वित्त वर्ष 2017-18 में रेलवे का वेतन बोझ 10,000 करोड़ रुपये जबकि पेंशन का बोझ 10,795 करोड़ रुपये बढ़ा. रेलवे पर यात्रियों को मिलने वाली 33,000 करोड़ रुपये की सबसिडी का भी बोझ है. पिछले छह वर्षों से रेलवे का परिचालन अनुपात 90 प्रतिशत से ऊपर ही रह रहा है. (इनपुट भाषा से)
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