भारत-चीन सीमा विवाद के बीच भारत अपनी सुरक्षा व्यवस्था में वृद्धि कर रहा है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बुनियादी ढांचे के विकास में जुटा है. जिस गति से विकास हो रहा है उसको देखते हुए भारत अगले तीन वर्षों में चीन से आगे निकलने में सक्षम हो जाएगा. सीमा सड़क संगठन (BRO) के महानिदेशक (DG) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने NDTV को बताया, "अगर विकास कार्य इसी गति से जारी रहे तो हम न केवल चीन की क्षमताओं की बराबरी करने में सक्षम होंगे बल्कि उससे आगे भी बढ़ जाएंगे."
उनके अनुसार पिछले 30 महीनों में 300 से अधिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं. उन्होंने कहा, “हर तीसरे दिन हम एक प्रोजेक्ट पूरा कर रहे हैं. हमारी लगभग 70 प्रतिशत परियोजनाएं एलएसी यानी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में हैं.”
उन्होंने कहा, “अभी हम चीन से पीछे हैं लेकिन हमें याद रखना होगा कि उनकी विकास यात्रा 1960 के दशक में शुरू हुई थी. जहां तक सड़कों और रेलवे का सवाल है, वे अपने इसके विस्तार और विकास में निरंतर लगे हुए हैं, लेकिन हम बिजली की गति से आगे बढ़ रहे हैं.''
सरकार की आक्रामकता के कारण हम अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम
उन्होंने सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में यूपीए और एनडीए के दृष्टिकोण के बीच तुलना करते हुए बताया, “पिछली सरकारें अपने दृष्टिकोण में रूढ़िवादी थीं और उनका विचार था कि यदि चीन सीमा पर सड़कें बनाई गईं तो उनका उपयोग भारत के खिलाफ किया जाएगा. लेकिन यह सरकार आक्रामक है और इसी आक्रामकता के कारण हम अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हैं. ”
इस साल अब तक बीआरओ 90 परियोजनाओं को पूरा करने में कामयाब रहा है जिसमें 24 रणनीतिक सड़कें, दो हवाई क्षेत्र और 61 पुल शामिल हैं. अनुमान के अनुसार दिसंबर के अंत तक इसमें 60 प्रोजेक्ट और जुड़ जाएंगे.
अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी
हालांकि अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है क्योंकि चीन बंकरों, अंडरग्राउंड शेल्टरों, आर्टिलरी, रडार साइटों के साथ-साथ सड़कों, पुलों, सुरंगों और हेलीपैड के माध्यम से अंतिम मील तक कनेक्टिविटी के मामले में सीमा पर अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत कर रहा है. उसने भारत के का सामना करने के लिए अपने एयरबेस को भी अपग्रेड किया है.
लेकिन अब नायोमा में काम शुरू होने से आने वाले वर्षों में गतिशीलता बदल सकती है. लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा, "हमने काम शुरू कर दिया है और अगले दो वर्किंग सेशन में हम उच्चतम लड़ाकू हवाई क्षेत्र को आपरेशनल करने में सक्षम होंगे, क्योंकि 2025 तक काम पूरा हो जाएगा."
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