डोलकुन ईसा का कहना है कि उनके पास भारत यात्रा के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीजा है
नई दिल्ली:
चीन के जानेमाने उइगर नेता को भारत द्वारा वीजा जारी किए जाने पर बीजिंग ने कड़ी आपत्ति जताई है। बात दें कि भारत का यह कदम पाकिस्तान में छुपे बैठे जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिंबध के प्रास्ताव पर अड़ंगा लगाने को चीन को जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
ईसा को आतंकी बताता है चीन
चीन ने भारत के इस कदम पर चिंता जताते हुए कहा है कि ईसा एक आतंकवादी है और उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है। इसलिए सभी देशों की जिम्मेदारी बनती है कि उसे कानून के हवाले किया जाए। वर्ल्ड उइगर कांग्रेस' (डब्ल्यूयूसी) के नेता डोलकुन ईसा जर्मनी में रहते हैं। चीन का आरोप है उसके मुस्लिम बहुल शिनजियांग क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं के पीछे ईसा और उसके साथियों का हाथ है, जहां स्थानीय उइगर लोगों की सरकारी बलों के साथ अकसर ही झड़प की खबरें आती रहती हैं।
लोकतंत्र पर कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले हैं ईसा
जर्मनी से फोन पर एनडीटीवी से खास बातचीत में ईसा ने कहा कि उनके पास भारत आने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीजा है, जहां अगले हफ्ते धर्मशाला में आयोजित होने वाली लोकतंत्र समर्थक कॉन्फ्रेंस में उन्हें हिस्सा लेना है। हालांकि इसके साथ ही वह कहते हैं, 'मैं भारत जाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है। चीनी सरकार खुश नहीं हैं, भारत को मेरी सुरक्षा और मुक्त आवाजाही की गारंटी देनी होगी।'
दलाई लामा से भी होगी मुलाकात
इस कॉन्फ्रेंस में दलाई लामा भी शरीक होने वाले हैं और यहां दोनों के बीच मुलाकात होने की भी संभावना है। धर्मशाला से ही तिब्बत की विस्थापित सरकार अपना कामकाज चलाती है। हालांकि चीन इस सरकार को मान्यता नहीं देता है, दलाई लामा को लेकर भारत के रुख पर भी वह काफी सख्त रहा है।
ईसा को न्याय की जद में लाने को प्रतिबद्ध चीन
ईसा के कथित भारत यात्रा को लेकर चीन ने चिंता जताते हुए कहा कि वह एक 'आतंकवादी' है, जिसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस है और उसे न्याय के जद में लाना सभी देशों की जिम्मेदारी है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने पीटीआई से एक लिखित जवाब में कहा, 'में हालात से अवगत नहीं हूं।' उनसे उन खबरों क बारे में पूछा गया था कि डोलकुन सहित डब्ल्यूयूसी नेताओं को इस महीने के आखिर में दलाई लामा से मुलाकात करने के लिए इजाजत दी गई है। हालांकि हुआ ने साथ ही कहा, 'मैं यह कहना चाहती हूं कि इंटरपोल और चीनी पुलिस की रेड नोटिस में ईसा एक आतंकवादी है। उसे न्याय के जद में लाना सभी संबंधित देशां की प्रतिबद्धता है।'
जर्मनी ने ईसा को दे रखी है शरण
हालांकि ईसा का कहना है, 'चीन ने मुझे 1997 से इंटरपोल की सूचि में डाल रखा है। ज्यादातर देशों ने इसे नजरअंदाज कर रखा है। भारत एक लोकतंत्र है। मैं नहीं लगता कि मुझे गिरफ्तार किया जाएगा, लेकिन मैं किसी भी तरह की परेशानी भी नहीं चाहता।' ईसा को 1990 के दशक में जर्मनी में शरण मिल रखी है।
ईसा के वीजा के बारे में जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हम उनकी यात्रा के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स देखी है, इस समय हम तथ्यों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।'
हाल के दिनों में भारत ने आतंकी मसूद अजहर को लेकर चीन के रुख का मुद्दा उच्चतम स्तर पर उठाया है। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपनी यात्रा के दौरान चीनी नेतृत्व के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। हालांकि चीन अपने रुख पर अडिग है और बार-बार अपने कदम को सही ठहराता रहा है और ऐसे में भारत के इस कदम को चीन के लिए जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
ईसा को आतंकी बताता है चीन
चीन ने भारत के इस कदम पर चिंता जताते हुए कहा है कि ईसा एक आतंकवादी है और उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है। इसलिए सभी देशों की जिम्मेदारी बनती है कि उसे कानून के हवाले किया जाए। वर्ल्ड उइगर कांग्रेस' (डब्ल्यूयूसी) के नेता डोलकुन ईसा जर्मनी में रहते हैं। चीन का आरोप है उसके मुस्लिम बहुल शिनजियांग क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं के पीछे ईसा और उसके साथियों का हाथ है, जहां स्थानीय उइगर लोगों की सरकारी बलों के साथ अकसर ही झड़प की खबरें आती रहती हैं।
लोकतंत्र पर कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले हैं ईसा
जर्मनी से फोन पर एनडीटीवी से खास बातचीत में ईसा ने कहा कि उनके पास भारत आने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीजा है, जहां अगले हफ्ते धर्मशाला में आयोजित होने वाली लोकतंत्र समर्थक कॉन्फ्रेंस में उन्हें हिस्सा लेना है। हालांकि इसके साथ ही वह कहते हैं, 'मैं भारत जाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है। चीनी सरकार खुश नहीं हैं, भारत को मेरी सुरक्षा और मुक्त आवाजाही की गारंटी देनी होगी।'
दलाई लामा से भी होगी मुलाकात
इस कॉन्फ्रेंस में दलाई लामा भी शरीक होने वाले हैं और यहां दोनों के बीच मुलाकात होने की भी संभावना है। धर्मशाला से ही तिब्बत की विस्थापित सरकार अपना कामकाज चलाती है। हालांकि चीन इस सरकार को मान्यता नहीं देता है, दलाई लामा को लेकर भारत के रुख पर भी वह काफी सख्त रहा है।
ईसा को न्याय की जद में लाने को प्रतिबद्ध चीन
ईसा के कथित भारत यात्रा को लेकर चीन ने चिंता जताते हुए कहा कि वह एक 'आतंकवादी' है, जिसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस है और उसे न्याय के जद में लाना सभी देशों की जिम्मेदारी है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने पीटीआई से एक लिखित जवाब में कहा, 'में हालात से अवगत नहीं हूं।' उनसे उन खबरों क बारे में पूछा गया था कि डोलकुन सहित डब्ल्यूयूसी नेताओं को इस महीने के आखिर में दलाई लामा से मुलाकात करने के लिए इजाजत दी गई है। हालांकि हुआ ने साथ ही कहा, 'मैं यह कहना चाहती हूं कि इंटरपोल और चीनी पुलिस की रेड नोटिस में ईसा एक आतंकवादी है। उसे न्याय के जद में लाना सभी संबंधित देशां की प्रतिबद्धता है।'
जर्मनी ने ईसा को दे रखी है शरण
हालांकि ईसा का कहना है, 'चीन ने मुझे 1997 से इंटरपोल की सूचि में डाल रखा है। ज्यादातर देशों ने इसे नजरअंदाज कर रखा है। भारत एक लोकतंत्र है। मैं नहीं लगता कि मुझे गिरफ्तार किया जाएगा, लेकिन मैं किसी भी तरह की परेशानी भी नहीं चाहता।' ईसा को 1990 के दशक में जर्मनी में शरण मिल रखी है।
ईसा के वीजा के बारे में जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हम उनकी यात्रा के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स देखी है, इस समय हम तथ्यों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।'
हाल के दिनों में भारत ने आतंकी मसूद अजहर को लेकर चीन के रुख का मुद्दा उच्चतम स्तर पर उठाया है। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपनी यात्रा के दौरान चीनी नेतृत्व के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। हालांकि चीन अपने रुख पर अडिग है और बार-बार अपने कदम को सही ठहराता रहा है और ऐसे में भारत के इस कदम को चीन के लिए जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
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