 
                                            - भारत और अमेरिका के बीच 10 साल के लिए एक व्यापक रक्षा समझौता हुआ है, जो रणनीतिक तालमेल को मजबूत करेगा
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस समझौते को दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी के नए युग की शुरुआत बताया
- यह समझौता हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र और कानूनी आवाजाही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है
दुनिया भर की महाशक्तियों के बीच चल रही जोर आजमाइश के बीच भारत और अमेरिका के बीच 10 साल का बड़ा रक्षा समझौता किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे दोनों देशों के बीच रणनीतिक तालमेल का संकेत बताया है. इस डिफेंस डील पर मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में हुई बैठक में दस्तखत हुए, जहां अमेरिकी रक्षा मंत्री पीटर हेगसेठ भी मौजूद थे. यह करार ऐसे वक्त हुआ है, जब टैरिफ को लेकर तनातनी के बाद दोनों देश रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है. अमेरिका रक्षा मंत्री से वार्ता के बाद राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा, यह हमारी मजबूत रक्षा साझेदारी में एक नए युग की शुरुआत है.
Had a fruitful meeting with my US counterpart @SecWar Peter Hegseth in Kuala Lumpur. We signed the 10 years ‘Framework for the US-India Major Defence Partnership'. This will usher in a new era in our already strong defence partnership.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 31, 2025
This Defence Framework will provide policy… pic.twitter.com/IEP6Udg9Iw
हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र पर फोकस
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह समझौता भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में बड़े बदलावों के साथ नीतिगत दिशा प्रदान करेगा. यह हमारी बढ़ती रणनीतिक समन्वय का संकेत है और साझेदारी के एक नए दशक का आगाज करेगा. रक्षा संबंध हमारे रिश्तों का एक मजबूत आधार स्तंभ है. हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में यह स्वतंत्र, मुक्त और कानूनों पर आधारित आवाजाही को सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है.
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अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि यह डिफेंस पार्टनरशिप क्षेत्रीय स्थिरता के लिए मील का पत्थर साबित होगी. हम रक्षा क्षेत्र में सहयोग, सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ा रहे हैं. हमारे रक्षा संबंध इतने मजबूत कभी नहीं रहे हैं.कुआलालंपुर में आसियान सदस्य देशों की बैठक से इतर दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ.
हथियारों की खरीद
अगर अमेरिका से भारत को हथियार निर्यात की बात करें रूस अभी भी सबसे बड़ा निर्यातक देश है. लेकिन 2018 से 2022 के बीच हथियारों के निर्यात में उसकी हिस्सेदारी 64 फीसदी से घटकर 45 फीसदी रह गई है.राफेल फाइटर जेट सौदे के कारण फ्रांस का निर्यात करीब 5 गुना बढ़ा है. वो भारत के लिए सबमरीन भी बना रहा है. 
अमेरिका से बड़े रक्षा सौदे
अमेरिका से भारत ने बोइंग P-8I पोसीडोन निगरानी एयरक्रॉफ्ट के अळावा सी-130जे सुपर हरक्युलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्रॉफ्ट खरीदे हैं. अमेरिका भारत को सिंगल सीटर फाइटर जेट भी बेचना चाहता है. हेलफायर, स्ट्रिंगर मिसाइल के साथ अपाचे हेलीकॉप्टर की भी खरीद हुई है.
हालांकि अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ वाली डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कदम के बाद रिश्तों में उतार-चढ़ाव का रुख देखा जा रहा है. अमेरिका चाहता है कि भारत रूस तेल खरीद बंद कर दे. अमेरिका ने भारत के अलावा चीन से भी रिश्ते सुधारने की पहल की है. फिलहाल उसका फोकस रूस पर है और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए ट्रंप एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं.
 
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