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ट्रंप का भारत-रूस-चीन वाला पोस्ट... रिश्ते पर छलका दर्द तो विदेश मंत्रालय का भी आया रिएक्शन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-अमेरिका संबंधों को "कई वर्षों से एकतरफ़ा" बताया है और हाई टैरिफ को अमेरिकी निर्यात में बाधा बताया है. ट्रंप ने कहा, "भारत के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं. लेकिन आपको समझना होगा, कई सालों तक यह एकतरफ़ा रहा."

ट्रंप का भारत-रूस-चीन वाला पोस्ट... रिश्ते पर छलका दर्द तो विदेश मंत्रालय का भी आया रिएक्शन
  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को चीन के बढ़ते प्रभाव के चलते खोने की चिंता व्यक्त की है.
  • विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है.
  • ट्रंप का बयान प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की हाल की चीन यात्रा और एससीओ शिखर सम्मेलन से जुड़ा हुआ है.
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नई दिल्ली:

भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर शुक्रवार को किए गए नए पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है. एक साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप के पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "इस समय मैं इस पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता." अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत और रूस को लेकर सोशल मीडिया पर एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने चीन के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई है और अपना दर्द बयां किया है.

ट्रंप ने ट्रूथ पर अपने पोस्ट में लिखा, “ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है. मैं उन्हें एक लंबा और समृद्ध भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं.” इस पोस्ट के साथ ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तस्वीर भी साझा की थी.

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उनके इस बयान को अमेरिकी विदेश नीति और वैश्विक समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है. ट्रंप पहले भी चीन की नीतियों और उसके बढ़ते प्रभाव को लेकर कई बार आलोचना कर चुके हैं. वहीं, भारत और रूस के बीच लगातार बढ़ते रणनीतिक और आर्थिक रिश्तों को भी इस संदर्भ में देखा जा रहा है.

ट्रंप का यह बयान प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन द्वारा हाल ही में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा के बाद आया है. 31 अगस्त से एक सितंबर तक की इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन से इतर जिनपिंग और पुतिन दोनों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी द्विपक्षीय वार्ता की.
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शिखर सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले तीनों नेताओं की अनौपचारिक बातचीत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. तस्वीरों में तीनों नेता मुस्कुराते और बातचीत करते दिख रहे थे, जो पिछले साल रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ली गई एक ऐसी ही तस्वीर की याद दिलाता है.

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को भी एक बार फिर भारत-अमेरिका संबंधों को "कई वर्षों से एकतरफ़ा" बताया था और उच्च टैरिफ को अमेरिकी निर्यात में बाधा बताया था. ट्रंप ने कहा, "भारत के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं. लेकिन भारत के साथ, आपको समझना होगा, कई सालों तक यह एकतरफ़ा रिश्ता रहा."

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उन्होंने एक बार फिर अपने इस आरोप पर ज़ोर दिया कि अमेरिकी निर्यात पर भारत के टैरिफ "दुनिया में सबसे ज़्यादा" हैं. उन्होंने आगे कहा, "भारत हमसे बहुत ज़्यादा टैरिफ वसूल रहा था, दुनिया में सबसे ज़्यादा और इसलिए हम भारत के साथ ज़्यादा व्यापार नहीं कर रहे थे, लेकिन वे हमारे साथ व्यापार कर रहे थे क्योंकि हम उनसे मूर्खतापूर्ण तरीके से टैरिफ नहीं वसूल रहे थे."

ट्रंप ने तर्क दिया कि भारत द्वारा अमेरिकी बाज़ार में सामान भेजे जाने के दौरान पहले की सरकार कार्रवाई करने में विफल रही थी. ट्रंप ने कहा, "वे जो कुछ भी बनाते थे, उसे बड़े पैमाने पर हमारे यहां भेजते थे. लेकिन हम कुछ भी नहीं भेजते थे, क्योंकि वे हमसे 100 प्रतिशत शुल्क वसूल रहे थे."
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गौरतलब है कि भारत और अमेरिका महीनों से ट्रेड डील को लेकर बातचीत कर रहे थे. लेकिन ट्रंप प्रशासन ने अगस्त में भारतीय आयातों पर अचानक 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया, जिसे बाद में भारत के रूसी तेल की खरीद के कारण 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया. अमेरिका की इस कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस फैसले को "अनुचित और अविवेकपूर्ण" करार दिया था और कहा था कि भारत की ऊर्जा जरूरतों और रणनीतिक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए.

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