सीमा पर तैनात जवान...
नई दिल्ली:
डोकलाम, डोका ला या फिर डोंगयोंग में इन दिनों भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कुछ तनाव चल रहा है. इसके चलते दोनों देश के सैनिक आपस में नॉन कैबेटिव मोड में भिड़ भी चुके हैं. चीन भी स्थिति पर साफ कह चुका है कि इस पूरे मुद्दे पर बातचीत तभी संभव है जब भारत अपने सैनिक हटाए.
हाल ही में भारत सरकार ने स्थिति में अपनी रणनीति पर विचार कर यह साफ कर दिया है कि वह जल्दी में नहीं है. माना जा रहा है कि भारत और चीन के बीच जारी यह तनाव सर्दियों तक जारी रह सकता है. भारत ने सैनिकों को अपने पोजिशन से पीछे न हटने के लिए कहा है. भारतीय सेना ने इस इलाके में तंबू लगा लिए हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि भारत और चीन के बीच 2005 में सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक समझौता हुआ था. इसके मुताबिक, दोनों देश सीमा पर जो यथास्थिति रही है उसे बरकरार रखेंगे. बाकी सीमा पर किसी प्रकार के विवाद को सुलझाने के लिए एक प्रकार की प्रक्रिया का पालन किया जाता है.
1998 में चीन और भूटान के बीच भी सीमा को लेकर एक समझौता हुआ है. इसमें भी यही बात है कि दोनों देश की सीमाएं उस समय रही हैं वही बनी रहेंगी. यानि जहां तक सीमा पर जिसके सैनिक मौजूद हैं वे वहीं पर बने रहेंगे. विदेश सचिव एस जयशंकर ने भी कहा है कि भारत और चीन इस गतिरोध को जल्द सुलझा लेंगे.
भारत और भूटान के बीच गहरे रिश्ते हैं. 1958 में तब के पीएम जवाहरलाल नेहरू ने संसद में कहा था- भूटान के खिलाफ कोई भी एक्शन भारत के खिलाफ एक्शन माना जाएगा. चीन और भूटान के बीच कूटनीतिक संबंध नहीं हैं. डोकलाम काफी ऊंचाई पर स्थित है.
यहां भारत और भूटान रणनीतीक तौर पर बहुत मजबूत स्थिति पर हैं. भारत इसे डोका ला और भूटान इसे डोकालाम कहता है जबकि चीन इसे अपने डोंगलांग रीजन का हिस्सा बताता है. जानकारों का मामला है कि चीन को लगता था कि वो भूटान को दबाव बना लेगा लेकिन भारत बीच में आ गया तो मामला फंस गया.
हाल ही में भारत सरकार ने स्थिति में अपनी रणनीति पर विचार कर यह साफ कर दिया है कि वह जल्दी में नहीं है. माना जा रहा है कि भारत और चीन के बीच जारी यह तनाव सर्दियों तक जारी रह सकता है. भारत ने सैनिकों को अपने पोजिशन से पीछे न हटने के लिए कहा है. भारतीय सेना ने इस इलाके में तंबू लगा लिए हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि भारत और चीन के बीच 2005 में सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक समझौता हुआ था. इसके मुताबिक, दोनों देश सीमा पर जो यथास्थिति रही है उसे बरकरार रखेंगे. बाकी सीमा पर किसी प्रकार के विवाद को सुलझाने के लिए एक प्रकार की प्रक्रिया का पालन किया जाता है.
1998 में चीन और भूटान के बीच भी सीमा को लेकर एक समझौता हुआ है. इसमें भी यही बात है कि दोनों देश की सीमाएं उस समय रही हैं वही बनी रहेंगी. यानि जहां तक सीमा पर जिसके सैनिक मौजूद हैं वे वहीं पर बने रहेंगे. विदेश सचिव एस जयशंकर ने भी कहा है कि भारत और चीन इस गतिरोध को जल्द सुलझा लेंगे.
भारत और भूटान के बीच गहरे रिश्ते हैं. 1958 में तब के पीएम जवाहरलाल नेहरू ने संसद में कहा था- भूटान के खिलाफ कोई भी एक्शन भारत के खिलाफ एक्शन माना जाएगा. चीन और भूटान के बीच कूटनीतिक संबंध नहीं हैं. डोकलाम काफी ऊंचाई पर स्थित है.
यहां भारत और भूटान रणनीतीक तौर पर बहुत मजबूत स्थिति पर हैं. भारत इसे डोका ला और भूटान इसे डोकालाम कहता है जबकि चीन इसे अपने डोंगलांग रीजन का हिस्सा बताता है. जानकारों का मामला है कि चीन को लगता था कि वो भूटान को दबाव बना लेगा लेकिन भारत बीच में आ गया तो मामला फंस गया.