बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत दौरे पर हैं. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक साझा बयान जारी किया गया है. पहले से चल रहे प्रोजेक्ट, अहम मुद्दों के अलावा इस साझा बयान में दोनों देशों के लिए कई अहम मसलों का जिक्र है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर बांग्लादेश के लिए सब से अहम मुद्दा तीस्ता नदी के पानी को बांटने वाले अंतरिम समझौते पर मुहर लगाने की गुजारिश की. इस समझौते का ड्राफ्ट 2011 में तय किया गया था.
बांग्लादेश ने भारत से आवश्यक खाद्य वस्तु जैसे चावल, चीनी, अदरक, लहसुन के भरोसेमंद सप्लाय की गुज़ारिश की. भारत ने विशाल दिलाया कि घरेलू हालात को देखते हुए इस पर अनुकूल नजरिए से विचार किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने भारत-बांग्लादेश पर जीरो लाइन से 150 यार्ड तक विकास के सभी काम त्रिपुरा सीमा पर बाड़ लगाने सहित जल्द से जल्द खत्म करें, ताकि सीमा पर अपराध ना हो और शांति बनी रहे.
भारतीय पक्ष ने त्रिपुरा की सिंचाई की जरूरत को देखते हुए फेनी नदी के पानी के बंटवारे पर अंतरिम समझौते पर जल्द दस्तखत की गुजारिश की. त्रिपुरा और बांग्लादेश को जोड़ने वाले मैत्री पुल के बाकी काम जैसे इम्मीग्रेशन, कस्टम वगैरह की सुविधाएं जल्द पूरी करने की बात भी कही, ताकि इस पुल पर आवाजाही शुरू हो सके.
बांग्लादेश ने भारत से पेट्रोलियम पदार्थों की जरूरत पूरी करने में मदद की अपील की. भारतीय पक्ष ने कहा कि दोनों तरफ की आधिकारिक एंजेंसियों की चर्चा करवाएगा. भारत ने पेट्रोलियम, तेल और ल्यूबरिकेंट आलम से बांग्लादेश होते हुए त्रिपुरा भेजने में मदद के लिए आभार जताया. असम और मेघालय में भयावह बाढ़ के कारण ये सीधे नहीं भेजा जा पा रहा था.
भारत ने बांग्लादेश को जानकारी दी कि वो किसी और देश को निर्यात करने के सामान के लिए निश्चित भारतीय जमीन, हवाई और समुद्री पोर्ट के इस्तेमाल पर शुल्क नहीं लेगा. भारत ने कहा कि बांग्लादेशी निर्यातक उसके पोर्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं. भारत पहले ही भूटान और नेपाल के लिए निर्यात निःशुल्क रखा है. उधर बांग्लादेश ने नए बने चिलाहाटी- हल्दीबारी रेल मार्ग के जरिए भूटान से जोड़ने की गुजारिश की है.
एक मुद्दा जिस पर बार-बार राजनीति होती है वो है रोहिंग्या मुसलमानों का, भारत ने बांग्लादेश की इस बात की तारीफ़ की कि उसने म्यांमार से जबरदस्ती भगाए गए दस लाख से ज्यादा रोहिंग्या को शरण दिया हुआ है. भारत ने कहा कि वो इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि दोनों बांग्लादेश और म्यांमार की मदद करे, ताकि ये सभी जल्द और सुरक्षित अपने देश लौट सकें.
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