केंद्र की कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी की परियोजना के खिलाफ झारखंड सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में अदालत ने कहा कि जहां तक प्रकृति के शोषण का सवाल है, हम केंद्र सरकार या राज्य पर भरोसा नहीं कर सकते हैं. हमारा अनुभव है कि प्रकृति का दोहन करने और पैसा बनाने की बहुत मांग है. वरिष्ठ वकीलों फली नरीमन और अभिषेक मनु सिंघवी ने झारखंड सरकार की ओर से तर्क दिया कि इन क्षेत्रों में खनन नहीं हो सकता क्योंकि वे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हैं.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह कहते हुए विरोध किया कि इलाके इको सेंसिटिव नहीं हैं. चीफ जस्टिस ने कहा, "अगर हम संतुष्ट हैं तो यह एक ईको सेंसिटिव ज़ोन है और अगर यह पर्यावरण को ख़राब करने वाला है, तो हम अनुमति देने जा रहे हैं. हम विशेषज्ञ नहीं हैं; हम किसी को जांचने के लिए नियुक्त कर सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जहां तक शोषण का संबंध है, हम केंद्र सरकार या राज्य पर भरोसा नहीं कर सकते. हमारा अनुभव है कि प्रकृति का दोहन करने और पैसा बनाने की बहुत मांग है. हम पर्यावरण को इतनी आसानी से ख़राब नहीं होने दे सकते.'
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अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार ईको संवेदनशील मुद्दे पर हलफनामा दायर करेगी. चीफ जस्टिस ने केंद्र से कहा, "हमें संतुष्ट करें कि यह पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र नहीं है, तब हम विचार करेंगे. शीर्ष अदालत इस मामले को दो सप्ताह बाद फिर से सुनेगी. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की तीन जजों की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की.
झारखंड सरकार और कुछ आदिवासी संगठनों ने वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला ब्लॉक की नीलामी के केंद्र के फैसले को चुनौती दी है. झारखंड में लातेहार , बोकारो, पलामू और दुमका जिलों में नौ ब्लॉक हैं. पिछली सुनवाई में SC ने झारखंड सरकार द्वारा दायर किए गए मुकदमे पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. 41 कोयला खदानों में से झारखंड में 9 को नीलामी करने के फैसले को चुनौती दी गई है.
झारखंड सरकार का कहना है कि यह जंगलों और आदिवासी संस्कृति और रीति-रिवाजों को नष्ट कर देगा. झारखंड सरकार ने केंद्र की परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 18 जून को शुरू की गई 41 कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी की परियोजना के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
झारखंड सरकार ने वाणिज्यिक खनन के लिए केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा कोयला खदानों की प्रस्तावित नीलामी पर फिलहाल रोक लगाने की मांग की है.
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झारखंड सरकार ने कहा है कि कोयला खनन का झारखंड और उसके निवासियों की विशाल ट्राइबल आबादी और वन भूमि पर सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के निष्पक्ष मूल्यांकन की आवश्यकता है. केंद्र के नीलामी के फैसले से इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. याचिका में कहा गया है कि COVID-19 के कारण नकारात्मक 'वैश्विक निवेश के लिए वैसे ही माहौल नहीं हैं.
इसी कारण कोयला खनन के लिए की जा रही नीलामी से दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन का उचित रिटर्न प्राप्त करने की संभावना नहीं है. दरअसल अगले 5-7 वर्षों में देश में पूंजी निवेश के 33,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद के साथ नीलामी प्रक्रिया शुरू करते हुए मोदी ने कहा था कि यह आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. झारखंड सरकार ने इस संबंध में ओरिजनल सूट भी दाखिल किया है.
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