चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई होगी. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ओर से सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की मोहलत की मांग वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की स्टेट बैंक के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की याचिका पर भी सुनवाई होगी. सुनवाई पांच जजों का संविधान पीठ करेगी.
चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.
कोर्ट ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया था. कोर्ट ने एसबीआई को 6 मार्च 2024 तक इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने को कहा था. इसके बाद 13 मार्च तक चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का सारा ब्यौरा सार्वजनिक करना था.
इस बीच याचिकाकर्ता एडीआर ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके स्टेट बैंक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की है.
चुनावी बॉन्ड योजना को 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था. पांच जजों की संविधान पीठ ने चुनावी बॉन्ड को रद्द कर दिया था. सहमति से आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं. चुनावों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी जरूरी है. चुनावी बांड योजना काले धन पर अंकुश लगाने वाली एक मात्र योजना नहीं है. इसके लिए अन्य विकल्प भी हैं.
कोर्ट ने फैसले में कहा था कि, काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है. स्वैच्छिक राजनीतिक योगदान का खुलासा न करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) यानी बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है. लोकतंत्र में मतदाता को सूचना के अधिकार में राजनीतिक फंडिंग के स्रोत को जानने का अधिकार भी शामिल है. कॉरपोरेट्स द्वारा असीमित राजनीतिक फंडिंग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि, स्टेट बैंक तुरंत चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद करे. एसबीआई को छह मार्च तक चुनाव आयोग को अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का पूरा डेटा जमा करना होगा. जिसमें खरीदारों के नाम, खरीद के मूल्यवर्ग और योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों के नाम शामिल हैं. यह जानकारी भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर 13 मार्च तक प्रकाशित की जाएगी. राजनीतिक दलों द्वारा सभी गैर-भुगतान किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड (EB) खरीददारों को वापस कर दिए जाएं.
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