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आतंक के दहशत पर आस्था भारी... पहलगाम हमले के बाद भी अमरनाथ यात्रा के लिए भक्तों का हुजूम

Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा दो रूटों से संचालित होती है. एक रूट की शुरुआत अनंतनाग ज़िले में स्थित पहलगाम से होती है. जहां से यात्रा की शुरुआत होती है वहां से महज कुछ दूरी पर 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या की थी.

आतंक के दहशत पर आस्था भारी... पहलगाम हमले के बाद भी अमरनाथ यात्रा के लिए भक्तों का हुजूम
अमरनाथ यात्रा पर पहलगाम आतंकी हमले का कोई प्रभाव पड़ते नजर नहीं आ रहा है.

Amarnath Yatra: 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमला उसी जगह पर हुआ, जहां से सालाना अमरनाथ यात्रा होकर गुजरती है. ऐसे में शंका थी कि आतंकी घटना के बाद अमरनाथ यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं में कमी आएगी लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि श्रद्धालुओं में उत्साह की कोई कमी नहीं है. अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जारी है. अब तक जितने श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया है उससे साफ़ है कि पहलगाम आतंकी हमले का इस यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ा है. 

अमरनाथ यात्रा के लिए अब तक 4 लाख भक्तों ने कराया रजिस्ट्रेशन

अमरनाथ यात्रा के लिए अब तक क़रीब 4 लाख श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है.  अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड की वेबसाइट पर रोज़ाना 5000 से ज़्यादा नए रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं.  8 जून को अमरनाथ श्राइन बोर्ड की बैठक हुई और तबतक 3.31 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुका था.

जम्मू कश्मीर के उधमपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का भी मानना है कि अमरनाथ यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आएगी.

दो रूट से अमरनाथ जाते है श्रद्धालु, एक रूट पहलगाम से जाता है 

बताते चले कि अमरनाथ यात्रा दो रूटों से संचालित होती है. एक रूट की शुरुआत अनंतनाग ज़िले में स्थित पहलगाम से होती है. जहां से यात्रा की शुरुआत होती है वहां से महज कुछ दूरी पर 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या की थी. इस आतंकी हमले के बाद यही आशंका जताई जा रही थी कि अमरनाथ यात्रा में इस बार श्रद्धालुओं की संख्या कम रहेगी. लेकिन आंकड़े बता रहे कि आतंकियों की दहशत पर आस्था भारी पड़ी है. 

आतंकी हमले के बाद यात्रियों की सुरक्षा के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था

इस बार अमरनाथ यात्रा की अवधि कम की गई है , हालांकि इसका ऐलान 22 अप्रैल की घटना से पहले ही किया गया था. अब इस घटना के बाद यात्रा की सुरक्षा के लिए चाक-चौबंद इंतज़ाम किए जा रहे हैं ताकि चूक की गुंजाइश न के बराबर रहे. सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम करने के लिए लागतार बैठकों का दौर जारी है. 

30 मई को गृह मंत्री अमित शाह ने ली थी हाईलेवल मीटिंग

30 मई को ख़ुद गृह मंत्री अमित शाह ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अलावा सेना, अर्धसैनिक बलों, राज्य पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में तय हुआ कि यात्रा की सुरक्षा के लिए ड्रोन, सीसीटीवी और अन्य तकनीकों का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा.

अर्धसैनिक बलों की 581 कंपनियां तैनात, दोनों रूटों पर नो फ्लाइंग जोन

14 जून को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. 17 जून को केंद्रीय गृह सचिव ने भी श्रीनगर में सुरक्षा और अन्य तैयारियों की समीक्षा की. इस बार अर्धसैनिक बलों की 581 कंपनियां सुरक्षा में लगाई जाएंगी. इसके अलावा 1 जुलाई से 10 अगस्त तक यात्रा के दोनों रूटों को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है. यानि इस दौरान ड्रोन या बैलून समेत सभी अनधिकृत चीज़ों के उड़ने पर पाबंदी रहेगी.

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