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This Article is From Sep 27, 2021

अगर भारत ने सिक्योरिटी पर निवेश न किया होता, तो देश गलवान, डोकलाम खो चुका होता : सेना उपप्रमुख

मोहंती ने कहा कि डोकलाम और गलवान की घटनाओं न सिर्फ देश का मान बढ़ाया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में देश को एक "बड़ा कद" भी दिया है.

अगर भारत ने सिक्योरिटी पर निवेश न किया होता, तो देश गलवान, डोकलाम खो चुका होता : सेना उपप्रमुख
भारतीय सशस्त्र बलों की कोई राजनीतिक आकांक्षा नहीं : लेफ्टिनेंट जनरल सी पी मोहंती
नई दिल्ली:

सेना के उपप्रमुख (वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) लेफ्टिनेंट जनरल सी पी मोहंती (Lieutenant General C P Mohanty) ने रविवार को कहा कि अगर भारत ने अपने सशस्त्र बलों में निवेश नहीं किया होता तो देश गलवान (Galwan) और डोकलाम (Doklam) में लड़ाई हार गया होता.  लेफ्टिनेंट जनरल मोहंती ने एक कार्यक्रम में कहा, "अगर देश ने सुरक्षा पर निवेश नहीं किया होता तो शायद हम कारगिल और डोकलाम में जंग हार गए होते. यहां तक कि जम्मू-कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा को लेकर गतिरोध बना रहता.  पूर्वोत्तर क्षेत्र में अशांति होती और नक्सलियों को भी खुली छूट मिली रहती."

सशस्त्र बलों पर खर्च पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "यदि तिब्बत के पास मजबूत सशस्त्र बल होते तो कभी घुसपैठ नहीं की जाती."

लेफ्टिनेंट जनरल मोहंती ने यह भी कहा कि डोकलाम और गलवान की घटनाओं न सिर्फ देश का मान बढ़ाया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में देश को एक "बड़ा कद" भी दिया है. उन्होंने कहा कि "आज हर कोई सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत के बारे में बात करता है और यह एक बड़े देश के खिलाफ सुरक्षा कवच है."

विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (वीआईपीएस) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल मोहंती ने कहा कि भारत के सशस्त्र बल राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं क्योंकि ये जाति, संप्रदाय और नस्ल से ऊपर हैं. उन्होंने जोर दिया कि भारतीय सशस्त्र बलों की कोई राजनीतिक आकांक्षा नहीं है और वे देश में राजनीति का सम्मान करते हैं. 

उन्होंने कहा, "ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां मिलिट्री लीडर्स की राजनीतिक आकांक्षाएं थीं. भारतीय सशस्त्र बलों की इस तरह की कोई आकांक्षाएं नहीं हैं, हम राजनीति का सम्मान करते हैं."

गौरतलब है कि 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 70 दिनों से ज्यादा वक्त तक गतिरोध बना रहा था. इसके चलते परमाणु हथियार संपन्न दोनों पड़ोसी देशों के बीच युद्ध की आशंका भी पैदा हो गई थी. भारत ने डोकलाम में चीन द्वारा सड़क बनाने का कड़ा विरोध किया था. दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह विवाद समाप्त हुआ था. इसके बाद पिछले साल पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया.

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