उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का जिक्र करते हुए कहा है कि मुस्लिम समाज को आगे आना चाहिए और "ऐतिहासिक गलती" का समाधान पेश करना चाहिए. सीएम योगी का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय मस्जिद समिति की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वेक्षण के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है. याचिका पर तीन अगस्त को फैसला आने की उम्मीद है.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में, एएनआई संपादक स्मिता प्रकाश के साथ पॉडकास्ट का हिस्सा रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ज्ञानवापी को मस्जिद कहा गया तो विवाद होगा. उन्होंने कहा, "अगर हम इसे मस्जिद कहते हैं, तो विवाद होगा. मुझे लगता है कि जिसे भगवान ने दृष्टि का आशीर्वाद दिया है, उसे देखना चाहिए. मस्जिद के अंदर त्रिशूल क्या कर रहा है? हमने इसे वहां नहीं रखा. वहां, एक ज्योतिर्लिंग, देव प्रतिमाएं (मूर्तियां) है."
मुख्यमंत्री ने कहा, "दीवारें चीख-चीख कर कुछ कह रही हैं. मुझे लगता है कि मुस्लिम समाज की ओर से एक प्रस्ताव आना चाहिए कि एक ऐतिहासिक गलती हुई है और हमें समाधान की जरूरत है."
ज्ञानवापी मस्जिद 2021 में तब सुर्खियों में आई जब महिलाओं के एक समूह ने वाराणसी में प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर में देवताओं की पूजा करने की अनुमति के लिए वाराणसी की एक अदालत का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद अदालत ने परिसर के वीडियो सर्वेक्षण का आदेश दिया, जिसके दौरान एक वस्तु की खोज की गई जिसके बारे में लोगों के एक वर्ग ने दावा किया कि यह एक शिवलिंग है.
हालांकि, मस्जिद प्रबंधन समिति ने कहा कि यह नमाज़ से पहले हाथ और पैर धोने के लिए 'वज़ूखाना' में एक फव्वारे का हिस्सा था. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, जिसने स्थिति को बढ़ने से रोकने के लिए वज़ूखाना के क्षेत्र को सील कर दिया.
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