
नई दिल्ली:
युवा आईएएस अधिकारी का फेसबुक पर डाला गया एक पोस्ट खासा वायरल हो रखा है और 48 घंटों के अंदर ही इसे सैकड़ों लोगों ने शेयर किया है।
'अश्लील संदेश' भेजने को लेकर राज्य के मानवाधिकार आयोग के अधिकारी के खिलाफ पिछले हफ्ते यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने वाली आईएएस अधिकारी रिजू बाफना कहती है, 'मैं बस यही दुआ कर सकती हूं कि इस देश में कोई महिला ना जन्में।'
हालांकि इसके साथ ही वह बताती हैं कि पुलिस में शिकायत करने के बाद उस अधिकारी को तुंरत उसके पद से हटा दिया गया, लेकिन यह कोई संतोषजनक अंत नहीं है।
अपनी इस प्रार्थना की वजह बताते हुए वह अपनी पोस्ट में बताती हैं कि जब अपना बयान दर्ज कराने वह अदालत पहुंची, तो कक्ष में एक वकील भी मौजूद थी। वह कहती हैं, 'इतने लोगों के सामने बयान देने को लेकर मैं असहज महसूस कर रही थी, इसलिए मैंने उस वकील और दूसरे लोगों को वहां से जाने की गुजारिश की।' वह बताती है कि इसके बाद उसके वकील ने कथित रूप से चिल्लाते हुए उन्हें कहा, 'आप अपने दफ्तर में अधिकारी होंगी, अदालत में नहीं।'
बाफना कहती हैं कि उन्होंने अपनी चिंता से जज को भी अवगत कराया। वह कहती हैं, 'जब मैंने न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा कि उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि यौन उत्पीड़न के मामले में जब कोई महिला अपना बयान दे रही हो तो वहां दूसरे लोग मौजूद ना हों। इस पर जज ने कहा कि आप युवा है और इसी वजह से ऐसी मांग कर रही हैं।'
इससे आहत बाफना कहती हैं कि यह देश महिलाओं की दुर्दशा को लेकर 'असंवेदनशील' बना रहेगा। 'मैं बस यही दुआ कर सकती हूं कि इस देश में कोई महिला ना जन्में। यहां हर कदम पर उल्लू बैठे हैं...'
'अश्लील संदेश' भेजने को लेकर राज्य के मानवाधिकार आयोग के अधिकारी के खिलाफ पिछले हफ्ते यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने वाली आईएएस अधिकारी रिजू बाफना कहती है, 'मैं बस यही दुआ कर सकती हूं कि इस देश में कोई महिला ना जन्में।'
हालांकि इसके साथ ही वह बताती हैं कि पुलिस में शिकायत करने के बाद उस अधिकारी को तुंरत उसके पद से हटा दिया गया, लेकिन यह कोई संतोषजनक अंत नहीं है।
अपनी इस प्रार्थना की वजह बताते हुए वह अपनी पोस्ट में बताती हैं कि जब अपना बयान दर्ज कराने वह अदालत पहुंची, तो कक्ष में एक वकील भी मौजूद थी। वह कहती हैं, 'इतने लोगों के सामने बयान देने को लेकर मैं असहज महसूस कर रही थी, इसलिए मैंने उस वकील और दूसरे लोगों को वहां से जाने की गुजारिश की।' वह बताती है कि इसके बाद उसके वकील ने कथित रूप से चिल्लाते हुए उन्हें कहा, 'आप अपने दफ्तर में अधिकारी होंगी, अदालत में नहीं।'
बाफना कहती हैं कि उन्होंने अपनी चिंता से जज को भी अवगत कराया। वह कहती हैं, 'जब मैंने न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा कि उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि यौन उत्पीड़न के मामले में जब कोई महिला अपना बयान दे रही हो तो वहां दूसरे लोग मौजूद ना हों। इस पर जज ने कहा कि आप युवा है और इसी वजह से ऐसी मांग कर रही हैं।'
इससे आहत बाफना कहती हैं कि यह देश महिलाओं की दुर्दशा को लेकर 'असंवेदनशील' बना रहेगा। 'मैं बस यही दुआ कर सकती हूं कि इस देश में कोई महिला ना जन्में। यहां हर कदम पर उल्लू बैठे हैं...'
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