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केंद्र सरकार में कैसे होती है IAS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति? क्यों हुए नियम में बदलाव? यहां जानें सब कुछ

केंद्र सरकार ने 2020 में एक नियम बनाया था. संयुक्त सचिव बनने के लिए नियम में बदलाव किया गया था. ये नियम 2007 बैच के आईएएस अधिकारियों से लागू है.

केंद्र सरकार में कैसे होती है IAS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति? क्यों हुए नियम में बदलाव? यहां जानें सब कुछ
नई दिल्ली:

कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव पद के लिए अधिकारियों की पहली सूची जारी की गई थी. इसमें 2009 बैच के आईएएस अधिकारियों को भी शामिल किया गया है, लेकिन 2009 बैच के केवल 16 ही आईएएस अधिकारियों का नाम है. हालांकि दूसरी सूची बाद में जारी होने की संभावना है.

केवल 16 अधिकारी ही क्यों?

केंद्र सरकार ने 2020 में एक नियम बनाया था. संयुक्त सचिव बनने के लिए नियम में बदलाव किया गया था. ये नियम 2007 बैच के आईएएस अधिकारियों से लागू है. इसके तहत केंद्र सरकार में उपसचिव या निदेशक पद पर काम करना अनिवार्य है. साथ ही कम से कम दो साल काम करना भी अनिवार्य बनाया गया है, तभी केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव पद के लिए योग्यता मिलती है.

कैसे होती है केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति?

आईएएस अधिकारी को नियुक्ति पर किसी राज्य का कैडर आवंटित किया जाता है. राज्य में 9 साल काम करने के बाद केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति संभव होती है. इसके बाद ही केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अधिकारी आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें राज्य सरकार से NOC लेना पड़ता है.

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वहीं केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद प्रतिनियुक्ति होती है. जहां अधिकतम 5 साल वो केंद्र सरकार में काम कर सकते हैं. वहीं कुछ मामलों में 2 साल का विस्तार मिल सकता है. फिर राज्य कैडर में वापस जाना पड़ता है. राज्य में तीन साल काम करने के बाद फिर केंद्र में प्रतिनियुक्ति संभव है. इसे 'कूलिंग ऑफ' समय कहते हैं.

क्यों किया गया नियम में बदलाव?

नियम में बदलाव किए गए क्योंकि कई अधिकारी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति नहीं चाहते हैं. केंद्र सरकार में योग्य अधिकारियों की किल्लत होती है. वहीं आईएएस अधिकारियों को केंद्र सरकार में काम करने का अनुभव भी ज़रूरी है.

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