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This Article is From May 24, 2017

बेनामी संपत्ति पर मोदी सरकार का करारा वार, 400 बेनामी सौदे पकड़े, 600 करोड़ की संपत्तियां कुर्क की

कालेधन के मोर्चे पर अहम जंग जारी रखते हुए मोदी सरकार ने बेनामी संपत्ति के मामले में भी सख्ती बरतना शुरू कर दिया है. आयकर विभाग को शुरुआती सफलता भी मिली है.

बेनामी संपत्ति पर मोदी सरकार का करारा वार, 400 बेनामी सौदे पकड़े, 600 करोड़ की संपत्तियां कुर्क की
पिछले एक महीने में 10 वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के परिसरों पर छापेमारी भी की है...
नई दिल्ली: कालेधन के मोर्चे पर अहम जंग जारी रखते हुए मोदी सरकार ने बेनामी संपत्ति के मामले में भी सख्ती बरतना शुरू कर दिया है. आयकर विभाग को शुरुआती सफलता भी मिली है. विभाग का कहना है कि उसने 240 मामलों में 400 से अधिक बेनामी सौदों का पता लगाया है और 600 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं. आयकर विभाग नया बेनामी कानून क्रियान्वित करना चाहता है जिससे वांछित नतीजे जमीन पर दिखाई दें. कर विभाग ने पिछले सप्ताह देशभर में 24 प्रतिबद्ध बेनामी प्रतिबंध इकाइयां (बीपीयू) स्थापित की हैं. विभाग ने पिछले साल एक नवंबर से नए बेनामी सौदे (प्रतिबंध) संशोधन कानून, 2016 के तहत कार्रवाई करनी शुरू की थी। इस कानून में अधिकतम सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. चल और अचल, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष और मूर्त और अमूर्त संपत्ति यदि उसके वास्तविक लाभ प्राप्त कर्ता स्वामी के बजाय किसी अन्य के नाम पर हों, तो उसे बेनामी संपत्ति कहा जाता है. 

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि आयकर जांच निदेशालय ने 23 मई, 2017 तक 400 से अधिक बेनामी लेनदेन की पहचान की थी. इनमें बैंक खातों में जमा, जमीन का टुकड़ा, फ्लैट और आभूषण शामिल है. बयान में कहा गया है कि कानून के तहत 240 से अधिक मामलों में अस्थायी रूप से संपत्तियों को कुर्क किया गया है। कुर्क की गई संपत्तियों का मूल्य 600 करोड़ रुपये बैठता है. 

कर विभाग ने कहा कि कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 40 से अधिक मामलों में अचल संपत्तियों को कुर्क किया गया है. मूल्य के हिसाब से ये संपत्तियां 530 करोड़ रुपये से अधिक बैठती हैं. इसके अलावा विभाग ने भ्रष्ट व्यवहार के जरिये कमाए धन का पता लगाने के लिए पिछले एक महीने में 10 वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के परिसरों पर छापेमारी भी की है. इसका ब्योरा देते हुए विभाग ने बताया कि जबलपुर में एक मामले में एक ड्राइवर के नाम 7.7 करोड़ रुपये की जमीन थी. इस जमीन की वास्तविक मालिक मध्य प्रदेश की सूचीबद्ध कंपनी और उसका नियोक्ता है.इसी तरह मुंबई में एक पेशेवर के पास कई अचल संपत्तियां थीं, जो मुखौटा कंपनियों के नाम पर खरीदी गई थीं. ये कंपनियां सिर्फ कागज पर थीं.
 

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