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आई लव मोहम्मद... क्या है ये विवाद जो कानपुर से निकलकर कई राज्यों तक पहुंच गया

कानपुर के बाद, उन्नाव, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. उन्नाव में प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की और पुलिस हिरासत से दो युवकों को छुड़ाने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
कानपुर के रावतपुर में बिना अनुमति निकाले गए जुलूस के दौरान 'आई लव मोहम्मद' पोस्टर लगाने से विवाद शुरू हुआ.
पुलिस ने बिना अनुमति जुलूस निकालने और नई परंपरा शुरू करने के कारण मुकदमा दर्ज किया, पोस्टर हटवाए गए.
राजनेताओं के बयानों के बाद विवाद बढ़ा और कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन और हिंसक झड़पें हुईं.
कानपुर:

'आई लव मोहम्मद' (I Love Mohammad) लिखे पोस्टर को लेकर उत्तर प्रदेश के कानपुर में शुरू हुआ विवाद अब पूरे देश में फैल गया है. इस पोस्टर पर राजनैतिक बयानबाजी और प्रदर्शनों के बाद कई राज्यों में हिंसक झड़पें भी हुईं. यह मामला अब सिर्फ कानपुर और उन्नाव तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यूपी के भदोही और शाहजहांपुर, उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर और महाराष्ट्र के ठाणे और लातूर तक पहुंच गया है.

कैसे और कहां से शुरू हुआ विवाद?

यह विवाद 4 सितंबर को बारावफात के जुलूस से शुरू हुआ था, जब कानपुर के रावतपुर में बिना अनुमति के एक जुलूस निकाला गया. इसी दौरान सड़क किनारे 'आई लव मोहम्मद' लिखा एक पोस्टर लगाया गया. दूसरे समुदाय के लोगों ने इसे 'नई परंपरा' बताकर विरोध किया. पुलिस ने अनुमति न होने के कारण पोस्टर हटवा दिए, जिसके बाद मुस्लिम युवकों ने कुछ पोस्टर फाड़ दिए. पुलिस ने इस पर कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया. शुरुआत में मामला शांत था, लेकिन राजनेताओं के बयानों ने इसे हवा दे दी, जिससे लोगों में गुस्सा भड़क उठा.

विरोध प्रदर्शन और हिंसा

कानपुर के बाद, उन्नाव, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. उन्नाव में प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की और पुलिस हिरासत से दो युवकों को छुड़ाने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

महाराष्ट्र के लातूर में मुस्लिम समुदाय ने एक विशाल मार्च निकाला, जिसमें लाखों लोग सड़कों पर उतरे. प्रदर्शनकारियों ने 'आई लव मोहम्मद' लिखी तख्तियां पकड़ी हुई थीं. इस मार्च में प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से यह मांग की कि युवकों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं, अपमानजनक बयान देने वालों पर सख्त कार्रवाई हो और धार्मिक भावनाओं के संरक्षण के लिए कानून लागू किया जाए. उन्होंने अपनी मांग को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा.

पुलिस का स्पष्टीकरण

कानपुर पुलिस ने साफ किया है कि मुकदमा पोस्टर लगाने के लिए नहीं, बल्कि बिना अनुमति जुलूस निकालने और टेंट लगाकर नई परंपरा शुरू करने के लिए दर्ज किया गया है. लेकिन, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर पैगंबर मोहम्मद का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे.
 

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