राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने पार्टी नेता अजित पवार के आरोपों पर आज जवाब देते हुए कहा कि मैंने कभी अजित पवार और उनके विधायकों को सत्ता में शामिल होने के बाद मिलने नहीं बुलाया था. मेरे इस्तीफ़ा देने के बाद मैंने किसी को आंदोलन करने को नहीं कहा. बीजेपी के साथ जाने की हमारी कभी भूमिका नहीं थी. अजित पवार के बयान में कोई तथ्य नहीं है. दरअसल अजित पवार ने शुक्रवार को कहा था कि ‘‘जितेंद्र आव्हाड और आनंद परांजपे (राकांपा नेताओं) को (शरद पवार द्वारा) बुलाया गया और उनका (शरद का) इस्तीफा वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन आयोजित करने को कहा गया था.
अजित पवार ने शरद पवार पर आरोप लगाते हुए कहा था, ‘‘परांजपे बाद में मेरे पास आए और मैंने उनसे पूछा कि आप यह नौटंकी क्यों कर रहे हैं. मेरा यह विचार था कि इसकी जरूरत नहीं थी. मैंने उनका (शरद पवार का) इस्तीफा नहीं मांगा था.''
मुंबई में दो मई को एक कार्यक्रम में राकांपा प्रमुख के रूप में इस्तीफा देने की घोषणा करने के कुछ ही दिनों बाद, शरद पवार ने कहा था कि वह देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपना फैसला वापस ले रहे हैं.
अजित पवार दो जुलाई को महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे नीत सरकार में शामिल हुए थे. उन्होंने कहा था कि शरद पवार नीत गुट समझौते के लिए संपर्क कर रहा है. इस तरह की एक बैठक 12 अगस्त को कारोबारी अतुल चोरडिया के पुणे स्थित आवास पर 12 अगस्त को हुई थी. ‘‘यदि आप हमारे फैसले (शिंदे नीत सरकार में शामिल होने) को पसंद नहीं करते हैं, तो आपने हमें बैठक के लिए क्यों बुलाया था.''
उन्होंने यह भी कहा था कि उनका गुट बारामती लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेगा. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले अभी इस सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रही हैं.
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