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आस्था, पर्यटन और व्यापार के संगम से कैसे आकार ले रही 'सनातन इकोनॉमी', यहां समझिए

सभी धार्मिक स्थलों पर बढ़ते पर्यटन और व्यापार ने यह साबित कर दिया है कि भारत में अब एक नई आर्थिक धारा — सनातन इकोनॉमी तेजी से उभर रही है, जो आस्था, संस्कृति और स्थानीय व्यापार को एक साथ जोड़ रही है.

आस्था, पर्यटन और व्यापार के संगम से कैसे आकार ले रही 'सनातन इकोनॉमी', यहां समझिए
  • इस दिवाली भारत में व्यापार ने 6 लाख 5 हजार करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कारोबार किया
  • GST दरों में कटौती से सामान सस्ता हुआ, जिससे उपभोक्ताओं ने अधिक खरीदारी की
  • इस दिवाली के दौरान भारतीयों ने हर सेकंड लगभग दो करोड़ रुपये खर्च किए
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इस दिवाली भारत में व्यापार ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. टैक्स कटौती के बाद उपभोक्ताओं ने जमकर खरीदारी की और देश में करीब 6.05 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के मुताबिक, इसमें 5.40 लाख करोड़ रुपये का सामान खरीदा गया, जबकि 65 हजार करोड़ रुपये का कारोबार सर्विस सेक्टर में हुआ. यह आंकड़ा पाकिस्तान के पूरे साल के बजट से भी ज्यादा है और दुनिया के 86 देशों की कुल GDP को पीछे छोड़ता है. दिवाली के दौरान भारतीयों ने हर सेकेंड करीब 2 करोड़ रुपये खर्च किए, जो देश के व्यापारिक इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.

दिवाली पर जमकर खरीदारी

पिछले साल दिवाली पर करीब 4.25 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था, लेकिन इस बार इसमें 25 फीसदी की रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई. GST दरों में कटौती का सीधा असर बाजार पर पड़ा. कम टैक्स की वजह से सामान सस्ता हुआ और मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ. बाजार ने भी इस कटौती को उत्सव की तरह मनाया और उपभोक्ताओं को राहत दी. इस बार लोगों ने चीनी सामान की जगह स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दी. देश के 100 में से 87 लोगों ने भारत में बने सामान खरीदे. किराना सामान, सोना-चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, पूजा सामग्री, मिठाई और फर्नीचर जैसे क्षेत्रों में बंपर खरीदारी हुई. क्रेडिट कार्ड से भी लोगों ने जमकर खर्च किया, जिसमें 42 फीसदी कार्डधारकों ने 50 हजार रुपये से ज्यादा की शॉपिंग की.

सनातन इकोनॉमी ले रही आकार

इस आर्थिक उछाल के साथ एक नई अर्थव्यवस्था भी आकार ले रही है सनातन इकोनॉमी. दिल्ली, आगरा और जयपुर जैसे पारंपरिक पर्यटन स्थलों के अलावा अब अयोध्या, काशी, मथुरा और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों पर भी करोड़ों पर्यटक पहुंच रहे हैं. महाकाल कॉरिडोर और केदारनाथ कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट्स ने धर्म और संस्कृति के साथ-साथ कारोबार को भी नई ऊंचाई दी है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम पूरा हो चुका है. मंदिर बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. जहां 2019 में अयोध्या में करीब 3.5 लाख पर्यटक आए थे, वहीं 2022 और 2023 में यह संख्या 2 करोड़ से ज्यादा पहुंच गई. इससे स्थानीय व्यापार और रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

महाकुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद बनारस में भी पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. 2017 में जहां करीब 60 लाख पर्यटक बनारस आए थे, वहीं 2023 में यह आंकड़ा 8 करोड़ से ज्यादा हो गया. 2024 में यह संख्या और भी बढ़ी है, जिससे काशी उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा पर्यटक वाली नगरी बन गई है. प्रयागराज महाकुंभ में इस साल श्रद्धालुओं की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, जहां हर साल औसतन 4 करोड़ तीर्थयात्री प्रयागराज पहुंचते हैं, वहीं इस बार महाकुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आए. इससे करीब 3 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ, जो भारत के सबसे बड़े आर्थिक आयोजनों में से एक बन गया है. योगी सरकार ने महाकुंभ के लिए 7500 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जिससे व्यवस्थाएं और सुविधाएं बेहतर हुईं.

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