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This Article is From May 22, 2025

अंधड़ में कैसे टूटी इंडिगो के प्लेन की नाक? जानें किससे बनी होती है, कितना बड़ा था खतरा

हवाई जहाज की नाक को बनाने के लिए आमतौर पर कई चीजों के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें फाइबरग्लास, क्वार्ट्स, हनीकॉम्ब, रासायनिक रेजिन और फोम आदि का इस्तेमाल होता है.

अंधड़ में कैसे टूटी इंडिगो के प्लेन की नाक? जानें किससे बनी होती है, कितना बड़ा था खतरा
नई दिल्ली:

हाल ही में देशभर के कई इलाकों में आए आंधी-तूफान के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि में इंडिगो फ्लाइट की नाक टूटने के कारण उसकी इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी. फ्लाइट में मौजूद सभी 227 यात्रियों के लिए यह एक डरा देने वाला अनुभव तो था ही लेकिन अक्सर फ्लाइट यात्रा करने वाले लोग भी इस घटना के बाद अधिक सतर्क हो गए होंगे. बता दें कि इस विमान में टीएमसी के चार सांसद और ममता सरकार के एक मंत्री मौजूद थे.

ऐसे में हम आपको यहां ये बताने वाले हैं कि आखिर एरोप्लेन की नाक किस तरह के मैटीरियल से बनी होती है? इसका क्या काम होता है और अगर इसे नुकसान पहुंचता है तो क्या खतरा हो सकता है.

किस मैटीरियल से बनाई जाती है एरोप्लेन की नाक 

हवाई जहाज की नाक को बनाने के लिए आमतौर पर कई चीजों के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें फाइबरग्लास, क्वार्ट्स, हनीकॉम्ब, रासायनिक रेजिन और फोम आदि का इस्तेमाल होता है. हाई स्पीड एप्लिकेशन के लिए पाइरोलिटिक कार्बन, रिइंफॉर्स्ड कार्बन, कार्बन कंपोजिट या एब्लेटिव हीट शील्ड जैसी चीजों से हवाई जहाज की नाक को बनाया जाता है. 

क्या होता है एरोप्लेन की नाक का काम? 

एरोप्लेन की नाक या फिर नोज कोन (Nose Cone) का काम ड्रैग को घटाने का है. नोज कोन को इसी काम के लिए डिजाइन किया गया है ताकि हवाई जहाज आसानी से आगे बढ़ सके. इसका आकार एयर रेसिस्टेंस को घटाने का काम करता है जिससे इंजनों के लिए अपनी गति बनाए रखना और इंधन को बचाना आसान हो जाता है. इसके अलावा नोज कोन कई अन्य काम भी करता है, और कुछ चीजों को इसमें फिक्स किया जाता है, जिनका इस्तेमाल विमान के संचालन में किया जाता है. 

एरोप्लेन की नोज कोन को नुकसान पहुंचने से क्या खतरा? 

  • प्लेन की नोज़ कोन हवा को सही तरीके से काटने और उसे स्थिर रखने का काम करती है. ऐसे में अगर नाक टूट जाती है तो हवा को काटने में दिक्कत हो सकती है जिससे प्लेन अनियंत्रित हो सकता है और प्लेन के क्रैश होने का खतरा बढ़ सकता है. 
  • प्लेन की नोज के पास ही कॉकपिट होता है, जहां पायलट बैठे होते हैं. ऐसे में यदि नाक टूट जाती है तो कॉकपिट में हवा का दबाव तेजी से कम हो सकता है और इससे पायलट को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है. 
  • इतना ही नहीं जैसा कि हमने बताया प्लेन की नोज कोन में कई चीजें होती हैं. जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और महत्वपूर्ण सेंसर आदि. ऐसे में यदि यह डैमेज होते हैं इससे नेविगेशन और कम्यूनिकेशन सिस्टम फेल हो सकता है जिससे प्लेन को कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो सकता है. 
  • इन सभी कारणों से प्लेन के क्रैश होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. 

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