अपने यहां काम करने वाले मुलाजिमों से जरा सोच समझकर व्यवहार करें. मुंह से निकला एक गलत शब्द आपको मुसीबत में डाल सकता है. दिल्ली (Delhi Crime) के गुलाबी बाग में भी कुछ ऐसा ही हुआ है.11 जुलाई, रात 10.45 मिनट, दिल्ली के गुलाबी बाग का किशन गंज, यहां एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के ऑफिस में कुछ कर्मचारी काम कर रहे थे. अचानक बंदूकों और चाकू से लैस 7-8 लोग घुसे और कर्मचारियों को घेर लिया. कुछ बदमाशों ने उनसे तिजोरी की चाबी छीन ली और लॉकर को पूरी तरह खाली (Delhi heist) कर डाला.
यहां के बीकानेर असम ट्रांसपोर्ट में 11 जुलाई को इतनी बड़ी डकैती हुई कि इसकी चर्चा सिर्फ राजधानी में ही नहीं बल्कि देशभर में हो रही है. ये खबर इन दिनों मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है. जब इस डकैती के पीछे का राज खुला तो हर कोई सन्न रह गया. ट्रांसपोर्ट मालिक ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसके बेटे की एक गलती उसको करोड़ों की चपत लगवा देगी. पुलिस ने डकैती के इस सनसनीखेज मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से 1 करोड़ 15 लाख रुपए बरामद किए जा चुके हैं.
करोड़ों की डकैती का राज क्या?
करीब साढ़ें 3 करोड़ रुपए की डकैती का कारण बना ट्रांसपोर्ट मालिक के बेटे का बुरा बर्ताव. बताया जा रहा है कि मालिक के बेटे ने पिता के कार ड्राइवर उपेंद्र को इतना बेइज्जत किया कि उसका ईगो हर्ट हो गया. बदले की आग में जल रहे उपेंद्र ने लूट की भयावह साजिश रच डाली. 36 साल के उपेंद्र को ट्रांसपोर्ट के ऑफिस में कैश के आने और जाने की पूरी जानकारी पहले से ही थी, बस फिर क्या था उसने बड़ा खेल कर दिया. ड्राइवर उपेंद्र ने इस योजना में अपने साथ ट्रांसपोर्ट के एक 48 साल के ट्रक ड्राइवर कैलाश चौहान को भी शामिल किया. दोनों ने बड़ी वारदात को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक दूसरे के सहारे से 15 लोगों की टीम खड़ी कर दी.
कैसे दिया करोड़ों की लूट को अंजाम?
11 जुलाई को ट्रांसपोर्ट ऑफिस में साढ़े तीन करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम आनी थी, उपेंद्र को इस बारे में पूरी जानकारी थी. उसी रात तकरीबन पौने 10 बजे 15 हथियारबंद बदमाशों की टीम बीकानेर असम ट्रांसपोर्ट में घुसी. उन्होंने बंदूक की नोंक पर वहां मौजूद लोगों को डरा धमकाकर करोड़ों की रकम ऐंठी और फिर कार में बैठकर वहां से फरार हो गए. लूट को अंजाम देने के बाद आरोपी दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर एक होटल और फिर नंद नगरी के एक फ्लैट में भाग गए. यहां पर उन्होंने लूट की रकम का बंटवारा किया. अपना-अरना हिस्सा लेने के बाद वे सभी अपने-अपने रास्ते चले गए. इस डकैती में शामिल बदमाश खुजराहो, भिंड मुरैना, नैनीताल, लोनी भैंटा और दिल्ली के थे. पुलिस का कहना है कि दोनों कथित तौर पर सैलरी न बढ़ने और मालिक के बेटे के बुरे बर्ताव से गुस्से में थे.
पुलिस ने आरोपियों को कैसे पकड़ा?
करोड़ों की लूट के आरोपियों तक पहुंचने के लिए पुलिस ने सड़क पर लगे सीसीटीवी का सहारा लिया. CCTV कैमरे की मदद ने पुलिस ने इस वारदात में इस्तेमाल होने वाली कार का नंबर ट्रेस किया. इसी नंबर के जरिए पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में कामयाब रही और 12 लोगों को धर दबोचा. हालांकि 3 लोग अब भी फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है, ये जानकारी डीसीपी नॉर्थ, दिल्ली, मनोज कुमार मीणा ने दी है. उनका कहना है कि जल्द ही वह बाकी रकम बरामद कर लेंगे और आने बाकी आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लेंगे.
ट्रांसपोर्ट मालिक की बड़ी गलती
मामले की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस ने सबसे पहले, गुलाबी बाग और सराय रोहिल्ला पुलिस स्टेशनों और उत्तरी जिला स्पेशल स्टाफ की टीमों ने हाल ही में रिहा हुए दोषियों पर नजर रखने के लिए डोजियर और जमानत डेटा का की जांच की, ये वो लोग थे, दिन्होंने पहले 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की लूट की थी. पुलिस अधिकारी मीणा के मुताबिक, उनको आरोपियों को ढूढने में ज्यादा दिक्कत इसलिए भी हुई क्यों कि ट्रांसपोर्ट मालिक ने उनको काम पर रखने से पहले वेरिफिकेशन फॉर्म स्थानीय पुलिस के पास जमा नहीं करवाया था.
CCTV की मदद से आरोपियों तक पहुंची पुलिस
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज में चेक किया कि आरोपियों ने घटनास्थल पर आने और जाने के लिए कौन से संभावित रास्तों का इस्तेमाल किया था. पुलिस ने दो कारों की पहचान की, जो प्रमोद तोमर नाम के नाम पर थीं. उसके फोन रिकॉर्ड से पता चला है कि डकैती के समय वह किशनगंज में ही था. हालांकि, उसकी करंट लोकेशन मध्य प्रदेश के खजुराहो में थी, जहां से उसे गिरफ्तार किया गया.
ड्राइवर ने कैसे रची लूट की साजिश?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, प्रमोद से सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने अपने साथियों के नामों का खुलासा कर दिया, जिन्होंने उपेन्द्र और कैलाश के कहने पर लूट की थी. तोमर ने पुलिस को बताया कि कैलाश और उपेन्द्र कथित तौर पर अंकुश नाम के एक आरोपी को जानते थे. उपेन्द्र ने हाल ही में अपनी नौकरी छोड़कर अपने दोस्तों की मदद से कैलाश के साथ मिलकर कंपनी को लूटने की योजना बनाई थी. कैलाश कथित तौर पर इस बात पर नजर रखता था कि नकदी कहां रखी जाएगी. उसने रात में लूट की योजना बनाई, क्यों कि वह जानता था कि इस समय वहां कम लोग होते हैं. कैलाश और उपेन्द्र की प्लानिंग के बाद अंकुश ने प्रमोद से संपर्क किया, उसने अन्य आरोपियों से संपर्क किया, जिससे वह अन्य लोगों को अपने साथ वारदात में शामिल करने में कामयाब रहा.
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