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Exclusive: सभी भूमिकाओं में सफल... PM की अनसुनी कहानी, गृह मंत्री अमित शाह की जुबानी

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को देश से जुड़े तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि संगठन और सरकार के तमाम पदों पर पीएम मोदी ने अपनी कार्यक्षमता और नेतृत्व क्षमता को साबित किया है.

Amit Shah Exclusive Interview

  • अमित शाह ने पीएम मोदी को हर स्तर पर सफल और जिम्मेदार नेता बताया, जो सभी भूमिकाओं में खरे उतरे हैं
  • पीएम मोदी सभी सुझावों को गंभीरता से सुनते हैं और सामूहिक निर्णय लेने के लिए श्रेष्ठ विचार प्रस्तुत करते हैं
  • कैबिनेट बैठकों में प्रधानमंत्री धैर्यपूर्वक सभी मंत्रियों की बात सुनते हैं और बाद में अपनी राय देते हैं
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नई दिल्ली:

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को NDTV से एक्सक्लूसिव बातचीत में देश से जुड़े तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यक्षमता और नेतृत्व क्षमता के बारे में बताते हुए शाह ने कहा कि उनके साथ हर स्तर पर काम करने का अनुभव उन्हें मिला है. वो ऐसे नेता हैं, जो संगठन के सामान्य कार्यकर्ता से लेकर प्रधानमंत्री तक की भूमिका में  हर कसौटी पर खरे उतरे हैं. शाह ने बताया कि सर्वोच्च नेता कैसे काम करता है, ये पीएम मोदी ने दिखाया है. सबके सुझावों को सुनना और फिर सामूहिक आधार पर निर्णय के लिए अपने गहन अनुभव के साथ सर्वोत्तम विचार सामने लाना, यह उनकी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता को दिखाता है. कार्यकर्ता , संगठन, संगठन के पदाधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक की सभी भूमिकाओं में उन्होंने खुद को साबित किया है.

पीएम मोदी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि हर स्तर की भूमिका के लिए वह अपने आपको ढालने में सफल रहे.उन्होंने कार्यकर्ता, संगठक, मुख्यमंत्री, जन प्रतिनिधि और प्रधानमंत्री, इन सभी भूमिकाओं को बहुत सफलता से निभाया है. ऐसा बहुत कम लोगों को दिखाई पड़ता है- अमित शाह

गंभीरता से सुनते हैं और मार्गदर्शन करते हैं
एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ राहुल कंवल के साथ खास बातचीत में अमित शाह ने कहा, 40 साल से मैंने उन्हें (पीएम मोदी) देखा है. वो देशहित के लिए कठोरता से फैसले लेते हैं. वो गंभीरता से सुनते भी हैं और मार्गदर्शन भी करते हैं. वो विचार थोंपते नहीं हैं. कोर आइडियोलॉजी के इश्यू और देश की सारी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वो काम करते हैं. कैबिनेट बैठकों में फैसलों के वक्त कैसा माहौल रहता है, इससे जुड़े सवाल पर शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद धैर्यवान हैं. कैबिनेट मीटिंग में वो उससे संबंधित मंत्रियों को पूरा सुनते हैं. कई बार तो दूसरे मंत्री भी कहते हैं कि अब बहुत हो गया, लेकिन पीएम मोदी पूरी बात सुनकर फिर आखिरी में अपनी बात रखते हैं.

पीएम मोदी दोस्त हैं या बॉस?
पीएम मोदी से अपने निजी रिश्ते कैसे हैं, वो दोस्त हैं, बॉस हैं... इससे जुड़े सवाल पर शाह ने कहा कि बीजेपी में बॉस जैसी ऐसी कोई परंपरा नहीं है. हम सब साथ मिलकर काम करते हैं. वो हमारे नेता हैं.

लीडरशिप के फैसलों को लेकर अमित शाह ने कहा कि ये अकेले पीएम नहीं लेते हैं. ढेर सारे साथी बैठते हैं. राज्य की टीम एक पैनल बनाती है. पैनल के बाद संसदीय बोर्ड के सदस्य और राष्ट्रीय अध्यक्ष मशविरा करते हैं. इसके बाद मोदी जी को ब्रीफ किया जाता है. तब फैसला लिया जाता है.

हारना किसी को भी पसंद नहीं 
क्या पीएम मोदी को हारना पसंद नहीं है, ऐसा कहा जाता है कि हार नहीं हो, वो किस हद तक जा सकते हैं, साम दाम दंड भेद... इस सवाल पर शाह ने कहा कि हारना किसी को भी पसंद नहीं होता है. ये किसी का स्वभाव होना भी नहीं चाहिए. लेकिन आप किस चीज को जीत मानते हैं, उससे निर्धारण होता है. राम और रावण दोनों जीतना चाहते थे, लेकिन जीत का उद्देश्य क्या है, ये मायने रखता है.

क्या हार्ड टास्कमास्टर हैं पीएम मोदी

पीएम मोदी को हार्ड टास्क मास्टर माना जाता है? अमित शाह ने इस सवाल पर हार्ट टास्क मास्टर होना बुरा है या खराब, यह इस पर निर्भर करता है कि टास्क क्या है. टास्क अगर जनता की भलाई, देश की सुरक्षा के लिए, देश के अर्थ तंत्र को गति देने का है, या देश में गरीबी दूर करने का है, तो हार्ड टास्क मास्टर होना ही चाहिए. मैंने उनको कभी निजी उद्देश्य के लिए काम करते हुए नहीं देखा है.


प्रधानमंत्री मोदी के हार्ड टास्कमास्टर होने के सवाल पर शाह ने कहा कि देशहित से जुड़े गंभीर मुद्दों पर प्रधानमंत्री पूरी संजीदगी से काम करते हैं. देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर राष्ट्रहित में पूरी निर्भीकता और दृढ़ता से फैसले लिए जाते हैं. असहमति से जुड़े मुद्दों पर संसदीय समिति का गठन का जिक्र करते हुए जब गृह मंत्री से ये सवाल किया गया कि क्या अब पीएम मोदी की कार्यशैली में बदलाव आया है, तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है. मुद्दों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए पहले भी संसदीय समिति और अन्य साझा मंचों के जरिये सभी संबंधित पक्षों को साथ में लेते हुए आगे बढ़ा गया है.

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