
- चित्तौड़गढ़ में तीन युवकों को नकली नोट बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जिनके पास तीस नकली नोट थे
- नकली नोटों की कीमत लगभग पंद्रह हजार रुपए थी, जिनमें से पांच नोट पहले ही बाजार में चल चुके थे
- गिरोह का मास्टरमाइंड झालावाड़ का आसिफ था, जो चैटजीपीटी से नकली नोट बनाने की तकनीक सीखकर काम कर रहा था
आज के दौर में चैटजीपीटी का इस्तेमाल रोज़मर्रा की ज़िंदगी से लेकर दफ़्तरों के कामकाज में बड़े पैमाने पर हो रहा है लेकिन जुर्म की दुनिया भी इससे अछूती नहीं है. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां बदमाशों ने चैटजीपीटी की मदद से नकली नोट बनाने का धंधा ही शुरू कर दिया.
चित्तौड़गढ़ शहर के त्रिपोलिया चौराहे पर पकड़े गए तीन युवकों से पुलिस ने 500-500 रुपए के कुल 30 नकली नोट बरामद किए. इनमें से 5 नोट पहले ही बाजार में खपाए जा चुके थे. बरामद नकली नोटों की कीमत करीब 15 हजार रुपए थी और सभी एक ही सीरीज के थे. पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह का मास्टरमाइंड झालावाड़ का आसिफ है. उसके साथ आदिल और शाहनवाज भी इस गिरोह में शामिल थे. आरोपियों ने चैटजीपीटी से नकली नोट बनाने का तरीका सीखा फिर जरूरी उपकरणों की मदद से सारोला गांव में किराए के कमरे में नकली नोट छापने का काम शुरू किया था.
पुलिस ने मौके से नकली नोट बनाने में इस्तेमाल होने वाला प्रिंटर, खास किस्म का पेपर, इंक, केमिकल, हरी टेप और वाटरमार्क तैयार करने का लकड़ी का फ्रेम भी जब्त किया है. आरोपी रेहड़ी-ठेले वालों, सब्जी बेचने वालों और बुजुर्ग लोगों को टारगेट बनाकर 500 रुपए के नकली नोट देकर सामान खरीदते थे. पहचान वाले इलाकों में वे नोट नहीं चलाते थे और आने-जाने के लिए फर्जी नंबर प्लेट वाली बाइक का इस्तेमाल करते थे. पुलिस के अनुसार चित्तौड़गढ़ में भी उन्होंने एक कमरा किराए पर ले रखा था.
तीनों आरोपी पहली बार इस धंधे में उतरे थे लेकिन पुलिस की कार्रवाई ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया.
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