
हिमाचल प्रदेश में बुधवार को हुए घटनाक्रम के बीच कांग्रेस ने अपनी रणीनीति तैयार करते हुए सरकार को बचाने की पहली प्राथमिकता रखी है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस आज या फिर कल में किसी भी तरह राज्य में बजट पास कराने की कोशिशों में लगी हुई है. बजट पास हो जाने पर इसे विश्वास मत माना जाएगा और फिर 6 महीने के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. हिमाचल प्रदेश में बजट पास हो जाने के बाद ही सीएम के भाग्य का फैसला किया जाएगा.
बता दें कि बुधवार सुबह ही ऐसी अफवाहें सामने आई थीं कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, बाद में उन्होंने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "मैंने इस्तीफा नहीं दिया है. मेरे इस्तीफे की खबरें अफवाह हैं. हमारी सरकार स्थिर है और पूरे पांच साल तक चलेगी." हालांकि, इससे पहले ऐसी खबरें सामने आई थी कि पार्टी में संकट के बीच सीएम सुक्खू ने इस्तीफे की पेशकश की है. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के खेमे में काफी राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है.
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और हिमाचल सरकार में केंद्रीय मंत्री विक्रमादित्य सिंह पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. वहीं विक्रमादित्य सिंह ने आरोप लगाया है कि पार्टी में विधायकों की बात को सुना नहीं जाता है.
हिमाचल में राजनीतिक संकट
बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी को हराकर राज्यसभा सीट पर जीत हासिल की है. इसके बाद से ही हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम देखा जा रहा है. बता दें कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों उम्मीदवारों को 34 मत मिले जिससे ये संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस के छह विधायकों ने पार्टी के खिलाफ मतदान किया है. इसके बाद 'ड्रॉ' के जरिए परिणाम घोषित किए गये.
हिमाचल में खुद की वजह से बिखर रही है कांग्रेस
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद तेज हुई राजनीतिक सरगर्मी के बीच बुधवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस बिखरती हुई नजर आ रही है और इसका कारण पार्टी खुद है. उन्होंने एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि जिनसे अपनी पार्टी नहीं संभल रही है, वह दूसरों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, "हिमाचल में कांग्रेस विधायकों का अपनी ही सरकार से भरोसा उठ गया है. इसका कारण है झूठे वादे, झूठी गारंटियां, आपसी अविश्वास, कथनी और करनी में अंतर, कमजोर व लचर नेतृत्व और जनता के बीच जाने में शर्मिंदगी. शर्मिंदगी. हिमाचल में कांग्रेस बिखरी नजर आ रही है, टूटी नज़र आ रही है और इसकी जिम्मेदार वो खुद है."
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